Friday, May 22, 2009

संगीत शिक्षक से चुदवाया

प्रेषिका : प्रीति गिल

मैं एक बहुत बड़े बिजनेस-मैन की बेटी हूँ, जब मेरी मध्यम-वर्गीय लड़कियों से दोस्ती हुई। जब उनके घर में कोई नहीं होता था तो उनके साथ फिल्में देखती थी। कच्ची उमर में ही मुझे चुदवाई का चस्का लग गया, १८ साल की थी जब मैंने चुदाई का मजा लिया, उसके बाद मैं एक बिगड़ी हुई अमीर लड़की के लेबल से जानी जाने लगी।

मैं कई लड़कों के साथ मैं हमबिस्तर हुई हूँ। पापा बिजनस-टूअर पे ही रहते, मॉम किट्टी पार्टियों में लगी रहती और मैं लड़कों में !

मुझे संगीत का बहुत शौक है क्यूंकि मुझे संगीत वाले सर बहुत पसंद थे, जो चीज़ प्रीति को अच्छी लगे, प्रीति उसको पाने के बाद ही दम लेती है।

+१ में पहुँच कर मैंने संगीत को एक विषय के रूप में ले लिया। सर की उम्र ३४-३५ साल होगी, लेकिन उनका व्यक्तित्व देख सभी लड़कियाँ उन पे फ़िदा थी।

संगीत की क्लास स्कूल लगने से एक घंटा पहले सुबह लगती थी। सर जल्दी आ जाते थे। ६ फ़ुट लंबे, मजबूत शरीर, चौड़ी छाती देख मैं पागल हुई पड़ी थी। मैं जानबूझ कर उनके सामने झुक जाती, उनको अपने अनारों के दर्शन करवाती। धीरे धीरे वो मेरी तमन्ना समझने लगे। मैंने क्लास से आधा घंटा पहले आना शुरू कर दिया।

एक रोज़ मैं स्कूल पहुँची, सर की कार नीचे खड़ी थी, सर कमरे में नहीं थे, मैं उनको देखने नीचे गई, दुबारा कमरे में आ गई। सोचा था आज सर को सब कह दूंगी क्यूंकि आज स्कूल में छुट्टी थी, सिर्फ़ संगीत की क्लास के लिए ही सर ने बुलाया था। आज ड्रेस में नहीं आना था इसलिए में कसा हुआ लाल रंग का टॉप जो लगभग मेरे बदन से चिपका हुआ था वो भी सिर्फ़ नेवेल तक जिस से पेट साफ़ दिख रहा था मैंने जींस भी नीचे बांधी थी, उनकी नज़र सुरों में कम मेरे चिकने पेट पे ज्यादा थीं , कसी जीन से चूतड साफ़ दिख रहे थे। मैंने देखा- सर बार बार मेरी ब्रेस्ट को देखते। सर पता नहीं किस ख्याल में खोये हुए थे। मैंने कुछ पू्छना था, मैंने अपना हाथ उनकी जाँघ पे रखते हुए कहा- किन ख्याल में खो गए सर ?

वो बोले- कुछ नहीं ! तुम करो !

मैंने हाथ ऊपर सरकाते हुए उनके लण्ड वाली जगह पे फेरते हुए कहा- बता दो न !

जवान लड़की, वो भी ऐसे लिबास में अकेली, कोई मर्द भी डोल जाये !

मैंने उनके लण्ड को मसल दिया उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालते हुए मेरे पेट को सहला दिया।

कमरे में सिर्फ़ शांति थी। ना वो बोले, न मैं !

वो मुझे बाँहों में समेटे हुए मेरे होंठ चूसने लगे। साथ में मेरी टॉप में हाथ डाल मम्मों को दबाने लगे। मेरी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूंज उठी।

सर बोले- इसी लिए तुम्हें अकेली को बुलाया था।

मैंने उनकी शर्ट के बटन खोल कर उनकी चौड़ी छाती पे होंठ रगड़ते हुए कहा- सर, मैं आपको बहुत चाहती हूँ !

उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया, ब्रा खोल कर मेरे दोनों मम्मे चूसने लगे। मैं आहें भरने लगी। मैंने भी अपनी बेल्ट खोल फ़िर जीन खोल उतार डाली ख़ुद ही। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी।

सर मुझ पर छाने लगे। मैंने उनके कच्छे में से लण्ड निकाल कर सहलाया, कितना बड़ा था ! सांवला, मोटा, ताज़ा लण्ड देख मेरे मुहं में पानी आ गया। मैंने झट से उस पर जुबान फेरते हुए मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने बहुत लण्ड चूसे थे लेकिन इसको चूसने में दिक्कत आने लगी क्योंकि यह तो बहुत मोटा था। फ़िर भी मैंने ६९ में होकर लण्ड चूसना जारी रखा, सर मेरी चिकनी चूत चाटने लगे, मेरे दाने को मसलने लगे।

मैंने कहा- सर, अब चोद डालो मुझे !

वो मेरी नंगी टांगों के बीच में आकर आसन लगा कर लण्ड को चूत पे रख कर रगड़ने लगे। फ़िर एक धक्का मारा और उनका आधा लण्ड मेरी गीली चूत में घुस गया, थोड़ा दर्द हुआ लेकिन सह लिया।

सर बोले- तुम पहले से ही चुदी हुई हो?

मैंने कहा- जी !

उन्होंने एक और धक्का लगाकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। लण्ड काफी बड़ा था, इसीलिए बहुत कसा हुआ अन्दर जा रहा था। सर धक्के मारने लगे।

उईईईईईईइऽऽऽ सीईईईईईईऽऽ चोदो सर ! मुझे दबा दबा के चोदो !

मैं ज़न्नत की सैर करने लगी, मैंने सब कुछ बक डाला- हाय ! ऐसा मजा अभी तक मेरे ५ बॉय-फ़्रेन्ड्स ने भी कभी नहीं दिया ! सर चोदो ! फाड़ डालो इस कमीनी को ! ऐसा ही लण्ड चाहती थी मैं ! भोंसड़ा बना डालो इसका !

तभी उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाल लिया और सीधे लेटते हुए मुझे ऊपर आने को बोले। मैं उनके लण्ड पर बैठ गई, पूरा लण्ड एक बार में ही मेरी चूत की गहराइयों में उतर गया। मैं उछलने लगी, मेरे बड़े बड़े मम्मे हिलने लगे। सर बोले- अभी +१ में हो और इतने बड़े करवा लिए ! तू सच में रंडी है ! ले खा मेरा लण्ड !

सर नीचे से उठ उठ के चोदने लगे मुझे।

हाय सर ! मेरा बस चलता तो पहले दिन ही आपके नीचे लेट जाती ! पहले मिले होते तो किसी और का लण्ड न खाती ! आपकी पत्नी धन्य है उसको यह निराला लण्ड मिला !

मैं एक बार स्खलित हो चुकी थी, लेकिन क्या ताकत थी सर में ! वो फ़िर मुझे पलट नीचे डाल बोले- टांगों को मेरी कमर से लपेट दे !

मेरी गाण्ड के नीचे गद्दी लगा मेरे ऊपर लेट के मुझे चोदते हुए बोले- साली ! औरत को नीचे लिटा के ही असली चुदाई मिलती है !

सर ने मेरे मम्मे खूब दबाये, चूसे।

जब सर झड़ने वाले थे तो मेरी चुदाई और तेज़ हो गई, लण्ड मेरे अन्दर थोड़ा चुभने लगा लेकिन मैं चुप रही और उसका साथ देती रही।

तभी तेज़ी से गरम गरम माल मेरी बच्चेदानी के आस पास निकलना शुरू हुआ। मैं फ़िर झड़ गई।

हम दोनों नंगे एक दूसरे से लिपटे रहे। मैंने दिल में कहा- प्रीति, आज फ़िर तू जीत गई ! जो चाहा, आज पा के ही दम लिया।

उसके बाद हर शनिवार वो मुझे स्कूल बुलाते। एक रोज़ हम चुदाई में मशगूल थे, पूरी दुनिया से बेखबर, हमें खेल-शिक्षक ने पकड़ लिया। वो जानता था कि मैं बहुत अमीर घर से हूँ। धमकी वो दे नहीं सकता था, इसी बीच सर वहां से रफ़ूचक्कर हो गए, मानो सब पहले से तय हुआ हो, मैं खेली खाई थी। खेल-शिक्षक उससे भी हट्टे-कट्टे थे, उनकी आयु ४९-५० साल होगी, फ़िर भी वो बोले- प्रीति ! एक बार मेरे नीचे लेट जा ! याद किया करेगी कि कभी किसी ने चोदा था !

वो पास आए और मुझे बाँहों में ले लिया। उसकी लड़की मेरी हम-उमर थी और उसी स्कूल में पढ़ती थी। मैं बिल्कुल नंगी थी इसलिए क्या कहती !

ऊपर से जब उसने लण्ड निकाल के दिखाया तो मैं रोक नहीं पाई- १० इंच का लण्ड था !!!!!!!!!!!!!!!!!!

कजन को चोद के नया साल मनाया !

२००४ के दिसम्बर की छुट्टियों में मेरे मामा की लडकी हमारे घर १०-१५ दिन के लिए आई। वो २४ साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर २८-२४-२८, ऊंचाई ५’३", वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको जमकर चोदने का मन करता लेकिन मैं कुछ नही कर पाता,वो मुझे तिरछी नजर से देखती थी।

बस तो सरदियों के दिन थे। सब लोग {परिवार वाले} रजाई ओढ़ के रात को बातें करते थे। वो मेरी वाली साईड में बैठ गयी। मैने धीरे से उसकी टांग पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। वो मेरी तरफ़ देख के मुस्करायी तो मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया। मैने उसके बुबस दबाने शुरु किये वो मस्त हो रही थी। वो कहने लगी- मुझे कम्प्यूटर सिखाओ !

मैने कहा क्लास लगेगी, वो भी रात के ९ बजे के बाद !

वो कहने लगी ठीक है। मैं डिनर करके आपके कमरे में आ जाऊगी। वो रात को मेरे कमरे में आयी। गांव में सब ८:३० बजे तक सब सो जाते है। हमारा घर बहुत बड़ा था। मैने उसे कम्प्यूटर ओन करके दिया। उसको गाने चलाना, ओफ़ीस ,सीडी चलाना बताने लगा। मैं उसको बताते हुए छू रहा था। उसे अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी। उसका ध्यान मेरी ओर हो गया। धीरे से मैं सेक्सी फ़िल्म पर क्लिक करके सोने का नाटक करने लगा। उसने वो फ़िल्म एक दम डर के बंद कर दी और फ़िर कुछ देर तक वो कम्प्यूटर चलाने के बाद सोने को जाने लगी। लेकिन उसका मन उस फ़िल्म को देखने का था तो वो उठ कर मेरी ओर देखा तो मैं सोने का नाटक करने लगा। वो इत्मिनान से फ़िल्म देखने लगी।

फ़िल्म देखने के बाद वो गरम हो गई। वो अपने बूबस को मसलने लगी। मैने धीरे से उसको किस किया तो वो चोंक गयी। मैं उसे अपने बैड पर उठा लाया तो वो बोली- भैईया यह क्या कर रहे हो?

मैने कहा जो तुम्हें चाहिए वो दे रहा हूं। मैं उसके बूबस दबाने लगा वो मस्त होती जा रही थी। और मैं होठ किस भी करने लगा। वो बोली ये नीचे मेरे से एक डंडा सा क्या है इतने में उसने मेरे लंड पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी। मैने धीरे से उसकी सलवार को खोल दिया अब मैं सलवार को पैर से उतारने लगा वो बोली किसी को पता चल गया तो?

मैने कहा तुम बताओगी?

वो बोली- नहीं। मैने उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिये। हम दोनो एकदम नंगे थे। मैं उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे 'चूमते रहो' कह रही थी, इतने दिन पहले क्यों नहीं मिले। मेरा ९" का लंड एकदम खडा था। वो बेसबरी से उसे देखने लगी ओर बोली- इतना बडा पहली बार देखा है।

वो एकदम नंगी मस्त दिख रही थी उसकी छोटी छोटी चूचियाँ पूरी कसी हुई थी। मैने पहली बार उसे नँगी देखा था। मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो मस्त हो कर तडफ़ रही थी। मैं उसके पूरे शरीर को चूमता हुआ उसकी चूत को चूसने लगा। बाद में हम लोग ६९ पोजीसन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी,मैं उसकी गोरी साफ़ चूत को जीभ से चूस रहा था।

'चूसो मेरी चूत को......आ.आ..आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ' वो मस्त हो रही थी। अब मैं झड़ने वाला था वो भी इस दौरान दो बार झड़ गई थी। मैं उसका नमकीन रस पीता रहा। मेरा रस उसके मुँह में झड़ गया। वो सारा रस मस्ती से पी गई।अब मैं फ़िर उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो बहुत खुश थी। मैने एक उँगली उसकी चूत में डाली। वो मेरे लँड को फ़िर चूसने लगी और मेरा ९" का लँड खडा हो गया।

अब वो बोली कि मुझे कुछ हो रहा है जल्दी करो, मेरी प्यास बुझाओ।

मैने कहा- इतनी भी जल्दी क्या है? मैने कहा दर्द बहुत होगा ! झेल लोगी?

वो बोली- चाहे मेरी चूत फ़ट जाये, मैं चाहे जितना भी चिल्लाऊँ, छोडना मत, बस अब जल्दी करो, चोद डालो, फ़ाड डालो मेरी चूत, जल्दी करो।

मैने ९" के लंड पर तेल लगाया और थोड़ा सा उसकी चूत पर लगा के, चूत पर लंड रखा और धक्का दिया तो लंड २" अंदर ही गया था कि वो चिल्लाने लगी- छोड दो, बस करो, मर जाऊगी।

मैं रुक गया और फिर वो शाँत हो गयी। मैने एक जोर से झटका मारा और चूत की सील तोड़ते हुए अँदर घुस गया। वो चिल्लाती रही, मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा। वो मस्त हो रही थी। थोड़ी देर में मैंने झटके लगाने शुरु किये। वो भी मेरा साथ देने लगी थी। वो चूतड़ उठा उठा के चुद रही थी। २००-२५० झटके लगाने के बाद मैं झड़ गया, इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।

वो रात ३१ दिसम्बर २००४ की रात थी, मैने उसे नये साल के जश्न में पूरी रात में लगभग 8 बार चोदा। वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी। उससे उठना ही मुश्किल हो गया था। सुबह के ६ बज चुके थे। वो उठ के अपने कमरे में चली गयी। ये सिलसिला १० दिन तक चलता रहा। वो पूरी पूरी रात मस्त होकर चुदवाती थी। १० दिन बाद वो अपने घर चली गयी। पर जब भी मौका मिलता था वो चुदने को तैयार रहती थी।

भाभी की ज़ोरदार चुदाई

मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व सेक्सी है। उसका नाम कोमल है। वह एक पंजाबी है और उसकी उम्र २४ साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गाँड भी लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात महीने पहले घटी थी।

मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।

एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था, "कोमल ज़बरदस्त माल है यार। क्या गाँड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।" मनीष ने कहा, "उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गाँड के लिए तो मैं उसकी पाद भी सूँघने को तैयार हूँ।"

उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि कोमल काफी सेक्सी औरत है। उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।

जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गाँड देखता रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे देखती तो मैं झेंप जाता...

धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ, तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।

मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग कमरे में सोती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।

जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का अनुभव असामान्य बात थी।

मैंने मज़ाक में कहा "आपकी तो पाद भी सेक्सी है"

उसने मुँह बनाकर कहा, "तो फिर सूँघो।"

वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए उससे कहा, "कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?"

उसने कहा, "वह घर पर रहते ही कब हैं!"

मैंने मुँह बनाते हुए कहा, "भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?"

वह मुस्कुराई और कहा, "तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?"

मैंने उत्तर दिया, "या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही नहीं हैं"

वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया, "उसके पास वो चीज़ तो ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।"

मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा, "तुम्हारे जैसी सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।"

उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा, "काश! तुम्हारे भैया भी तुम्हारी तरह होते।"

मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा, "सप्ताह में कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?"

उसने उत्तर दिया, "पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।"

मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा, "मैं तो तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।"

फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।

मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।

मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ रहा था। उसने देखते हुए कहा, "तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।"

उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो। उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली, "यह वाकई में बहुत बड़ा है - तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।"

मैंने पूछा, "तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, कोमल"

मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था, और हम साथ ही चुम्बन में भी लिप्त थे।

तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानों ज़न्नत थी, और ब्रा को फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।

मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा, और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।

कोमल आहें भर रही थी, "हम्म्म्म्म.... ऊम्म्म्म्म।" फिर मैंने उसकी बाईं चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की, मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला पड़ी।

मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।

वह मुस्कुरा कर बोली, "ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं... जो गूँथते जा रहे हो।

मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, "अरे क्या हुआ.." मैंने कहा, "हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे खुश करूँ।" उसने उत्तर दिया, "अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह चूसा और दबाया नहीं... ले और मज़ा ले इनके साथ" उसने फिर से अपनी चूचियाँ मुझे पेश कीं।

मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।

वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली, "उईईईईईई, माँ... और दबा ना।"

मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मज़ा दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर भाग से उनको मज़ा देना जानता हूँ।

फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर रहे थे...

उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी, और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।

फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। कोमल ने अपनी गाँड थोड़ी ऊपर उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. कोमल ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।

मैंने उसकी ब्लैक पैंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।

कोमल ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा, "बहुत बाल हैं ना।"

मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में फिराईं, और उत्तर दिया, "भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए... वरना वो औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।"

उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा, "मुझे नंगा करके भाभी बुलाता है।" मैंने कहा, "अभी आप भाभी हो... चोदने के बाद तुम मेरी कोमल बन जाओगी।"

वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई, "ठीक है देवरजी।"

मैंने अपनी ऊंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।

ओह! बड़ी कोमल चूत थी कोमल की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गाँड भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गाँड भी मार लूँगा।

कोमल शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी। सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर कोमल के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी... उसकी चूत की पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।

मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत में घुसा दीं... उसने सिसकारी ली... उसकी चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए और उसकी गुलाबी झलक ली।

फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा, मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी... हमम्म्म्म्मम... मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।

मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसेड़ दी... मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं थीं।

मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी गाँड़ में डाल दीं। मैं उसे अपनी उँगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच में थपथपता रहा। कोमल ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी चूत में डूब गया।

मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गाँड उचकाते हुए मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी, "ओहह्ह्ह्ह्ह! हम्म्म्म्म!आआआआआआ" मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।

वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा, "आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।" मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।

मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही थी... कोमल ने कहा, "ऐसा लग रहा है... लंड नहीं, कोई काला नाग है।"

उसने कहा, "रूक जा... आज मैं तुझे बताती हूँ... तेरी भाभी कैसी औरत है।" उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी। वह मेरे लंड की पूजा कर रही थी। "बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?"

"आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।"

उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा, "बेचारा ! ये अब मेरा हो गया... अब इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें कर रही थी, "आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।"

कोमल ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।

"ओह यस...." उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।

इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ था... मैंने एक मादक आह भरी...

तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही थी तो उसकी गाँड मेरे सामने थी।

मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़ निकाली... फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गाँड की छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा...

वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गाँड को अच्छी तरह से चाट रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा, "गन्दे लड़के हो तुम।" फिर उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं उसकी गाँड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।

मेरे द्वारा उसकी गाँड चाटने से मेरी भाभी कोमल उत्तेजना की चरमसीमा पर थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गाँड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।

फिर मैंने कोमल से कुतिया की तरह होने को कहा। उसने पूछा, "क्यों.."। "मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ... मुझे तुम्हारी गाँड पसन्द है।"

पर उसने कहा, "पर कृपा करके मेरी गाँड मत मारना"

मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गाँड देखकर दीवाना हो गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई, "आआआआजजज्ज्जजज्जज्आाहहहहहहह" मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा ताकि उसे मज़ा आए।

उसने सिसकारी भरते हुए कहा, "और घुसा" मैं गन्दी बातें करने लगा, "ले राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?"

उसने उत्तर दिया, "हम्म्... हम्म्म्म्म्म्म" मैंने अपने झटके लगाने जारी रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो। जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।

हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। कोमल ने मुझे उठाया और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा, "उठ राजा, चाय पीओगे?" मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "हाँ मेरी जान।"

वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उँगली कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे।

मैंने कहा, "कोमल तेरी गाँड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।"

वह मुस्कुराई और कहा, "लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी को बताओगे नहीं।"

मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। "पर मैं सबको बताऊँगा कि तुमने आज पादा।"

वह शरमा गई और कहा, "शटअप, प्लीज़।"

मैंने कहा, "ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।" हमने एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गाँड मुझे प्रस्तुत कर दी।

जब उसकी गाँड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया... फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी गाँड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और अपनी कोमल की गाँड का स्वाद चखा।... कोमल मुझे अचरज भरी नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गाँड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।

मैंने उससे कहा, "कोमल, मैं तुम्हें आज ऐसा मज़ा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी नहीं मिला होगा।" मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गाँड की छेद पर लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गाँड काफी चिकनी और चमकदार हो गई।

मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गाँड की छेद में घुसाया। अब मैं कोमल का "गाँड मसका" खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गाँड की छेद को भी चूसने लगा...

मैंने उसके गाँड के छेद में उँगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।

उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गाँड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह मेरे लंड के लिए जगह बना सके... मैंने उसके गाँड में अपना लंड पेलते हुए कहा, "इसको कहते हैं, मसका मारना।"वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा, "ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।"

मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने उससे पूछा, "हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?"

उसने मेरे लंड को चूसा और कहा, "आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गाँड से खाऊँगी।"

जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा हो !

अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गाँड की ओर दबाया। उसकी छेद में लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर पकड़ लिया। उसकी गाँड बहुत गरम और बहुत टाईट थी... क्या बताऊँ कितना मज़ा आया। वह आहें भर रही थी, "धीरे से आआआहहहहह"

मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। कोमल ने अपनी गाँड पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे...

चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गाँड से फिसल भी जाता था। मैं फिर से प्रयास करता और गाँड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड उसकी गाँड में पेलता तो कोमल आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी गाँड की छेद में समा चुका था।

हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी। कोमल भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी।.. हम्म्म्म्म आआआआहह्ह्हह्हहहहहह ओह्ह्ह्हहह।

उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन भरी गाँड़-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।

मैंने उसकी गाँड़ करीब २० मिनटों तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ... मैंने उसे धीरे से कहा, "मैं झड़ने वाला हूँ।"

उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया, "ओह कोमलललल्ल्ल्ल" और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गाँड में होने लगी जो करीब २० सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा गाँड में जा गिरा।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में बदल जाएगी और मुझे कोमल की गाँड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दूँ कि उसकी गाँड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी मुखर्जी या माधुरी की गाँड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।

फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे... उसकी गाँड और मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे। कोमल ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा "ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।" उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त में रूमाल से पोंछ दिया।

फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।

मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन जो लाया था वह कहाँ गया?

कोमल: मैं कह दूँगी कि मैंने गाँड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया (खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू टेन्शन मत ले।

मैं: आई लव यू कोमल, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी...

कोमल: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी... मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-टीचर... वैसे तू चेला काफी अच्छा है... तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया... और एक औरत को क्या चाहिए?

हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।

अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई। हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।

जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गाँड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती... जब वह नहीं होते फिर तो पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।

हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो आदमी उसे संतुष्ट करता है... आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन, पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।

उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ।

Thursday, May 7, 2009

यार! तेरी बीवी बड़ी मस्त है

प्रेषक - अमित/अनिता शर्मा

हैलो दोस्तों, मैंने कुछ समय पहले ही इस साईट पर कहानियाँ पढ़नी शुरु कीं। कह नहीं सकता कि इनमें से कितनी कहानियाँ सच्ची हैं और कितनी दिमाग़ की उपज। पर आज मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा नाम अमित है और मेरी उम्र ३६ साल है। मेरी पत्नी का नाम अनीता है और उसकी उम्र ३४ साल है। हमारी शादी १४ साल पहले हुई थी और हमारे २ बच्चे हैं। बड़ा लड़का १२ साल और छोटी बेटी ७ साल की है।

हमारी ज़िन्दगी और यौन-जीवन आज से ३ साल पहले तक वैसे ही चल रही थी, जैसे कि एक आम मध्यवर्ग के परिवार की चलती है। पिछले ११ सालों में हम लोग सेक्स बस एक ज़रूरत के हिसाब से करते थे। उसमें कोई रोमांच नहीं था, कि हमें सेक्स करने में और मज़ा नहीं आ रहा था।

फिर हमें लगा कि इस तरह तो हम दूर होते जाएँगे, हमने इसमें कुछ नयापन लाने की सोची। उस दिन से हम लोगों ने साथ में ब्लू-फिल्म देखनी शुरु की और गन्दी बातें करनी भी शुरु की। पहले मेरी पत्नी लंड-चूत जैसे शब्द बोलने में भी कतराती थी, पर धीरे-धीरे वह ये बातें आराम से बोलने लगी। उस दिन से हमने अपने यौन-जीवन में एक नयापन का अहसास किया और हमें मज़ा भी आने लगा।

अनीता भी पहले से उलट खुलकर सेक्स करने लगी। पहले जिन सब कामों के लिए वह मना किया करती थी अब वे सारे काम वह ख़ुद ही करवाने-करने लगी। जैसे कि मुँह में लौड़ा लेना, और गांड मरवाना, मेरा वीर्य चेहरे पर लेना, उसे इन कामों में अब बड़ा मज़ा आने लगा था।

मैं आप लोगों को अपनी बीवी के बारे में थोड़ा बताता चलूँ। उसकी उम्र ३४ साल है, गोरा बदन, दूध की तरह, उसकी फ़िगर भी ३७-२९-३८ है और उसका क़द ५' ५" है। मैंने कई बार लोगों को उसे टेढ़ी नज़रों से देखते हुए देखा है, तब मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता है, उन लोगों पर गुस्सा भी नहीं आता।

एक दिन मैंने अनीता से वेबकॅम पर सेक्स करने की बात की पर उसने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने उससे कहा कि हम लोग अपना चेहरा नहीं दिखाएँगे तो वह मान गई। उस दिन से मैं ऐसे युगल की खोज में जुट गया जो हमारी तरह सोचते हों और एक दिन हमें ऐसा ही एक युगल मिल गया। हम लोगों ने शनिवार रात का समय तय किया कॅम पर सेक्स करने के लिए।

शनिवार रात जब बच्चे सो गए तो रात को ११ बजे, तय समयानुसार हम लोग इन्टरनेट पर मिले। दूसरा युगल था, आशीष ३७, और गीता ३३। वे भी हमारी तरह एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे और सेक्स में नयापन चाहते थे। तो हम लोगों ने नेट से चैट शुरु की और धीरे-धीरे सेक्स की बातें करने लगे। जहाँ मैं गीता के नंगे शरीर को देखने के लिए उतावला था वहीं अनीता भी आशीष का लंड देखने के लिए उतावली दिख रही थी। पर वह अपने चेहरे से ज़ाहिर नहीं कर रही थी। हमने जब उन लोगों से चैट करी तो उन लोगों ने बताया कि वह लोग फोन सेक्स और अदला-बदली करना चाहते है। हम लोगों ने कहा- हम अभी सोचेंगे।

उस दिन अनीता ने गुलाबी रंग की नाईटी पहन रखी थी और उसके अन्दर काले रंग की कच्छी और ब्रा। और मैंने काली हाफ पैंट पहन रखी थी। उधर गीता ने सलवार कमीज़ और आशीष ने पाजामा पहना हुआ था।

जैसे-जैसे चैट की बात आगे बढ़ी, हम लोगों ने एक-दूसरे को कपड़े उतार देने के लिए कहा। उधर गीता ने अपनी सलवार कमीज़ उतार दी और वह केवल लाल ब्रा और लाल कच्छी में थी। इधर अनीता ने उसको देखते हुए अपनी नाईटी उतार दी और अपनी ब्रा-कच्छी भी उतार दी। उधर आशीष और गीता अपने सारे कपड़े उतार कर पूर्णतः नग्न हो चुके थे। उनकी देखा-देखी में इधर हम भी नंगे हो गए।

आज हमें एक नए प्रकार का आनन्द मिल रहा था। गीता के ख़ूबसूरत बद़न, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देखकर, उसकी बिना बालों की गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड तो फुँफकारे मार रहा था। उधर आशीष का लंड देखकर अनीता की भी यही हालत थी। आशीष का लंड मेरे बराबर ही था पर मेरे से थोड़ा मोटा होगा। वैसे मेरा लंड भी ख़ूब मोटा-तगड़ा है, पर उसका मेरे से थोड़ा अधिक मोटा लगा। जब हम लोग नंगे हुए तो आशीष ने कहा क्यों ना फोन सेक्स करें। तो हम भी राज़ी हो गए। पिर आशीष ने हमें फोन किया और हम लोग स्पीकर ऑन करके बातें करने लगे। फिर हम लोगों ने खुल्लम-खुल्ला चूत-लंड की बातें शुरु कर दीं। अनीता मेरा लंड चूसने लगी। अब हम लोग टाईप नहीं कर रहे थे। बस फोन पर ही बातें करके कैमरे के सामने आनन्द का आदान-प्रदान कर रहे थे।

अब मैंने अनीता की चूत को गीता की चूत समझ कर चाटना शुरु कर दिया, और आज मुझे वही चूत चाटने में अलग प्रकार का आनन्द आ रहा था। कुछ देर चाटने के बाद अनीता मेरे मुँह में ही झड़ गई। आज जितना मज़ा हमें सेक्स करने में आ रहा था, उतना पहले कभी नहीं आया था। अब मैंने और आशीष ने अपनी बीवियों को घोड़ी बना कर चोदना शुरु कर दिया था और फोन पर ही गन्दी-गन्दी बातें कर रहे थे। अब हम लोगों के चेहरे भी एक-दूसरे के सामने थे। इसलिए मज़ा दुगुना हो गया था।

२०-२५ मिनट चोदने के बाद मैंने और आशीष ने अपना सारा वीर्य अपनी बीवियों के मँह में डाल दिया। आज हमने महसूस किया कि जितना मज़ा हमे आज आया, उतना मज़ा पहले कभी नहीं आया। उस दिन का कार्यक्रम खत्म करके हमलोग सो गए। दूसरे दिन आशीष का फोन मेरे पास आया और उसने हमसे बीवियों के अदला-बदली के बारे में पूछा। मैंने उससे कहा कि मैं अनीता से बात करके बताऊँगा। उसने मुझे बताया कि गीता को मेरा लण्ड बहुत पसन्द आया और उसे अनीता की गाँड बहुत पसन्द आई। यह सब बातें सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैं फिर से अनीता की चुदाई करने चल पड़ा। उस समय वह बाथरूम में कपड़े धो रही थी। मैंने वहीं जाकर उसकी नाईटी ऊपर उठाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वह इसके लिए तैयार नहीं थी, इसलिए ना-नुकर करने लगी. पर मेरी हरक़तों ने उसे भी उत्तेजित कर दिया और वह मस्त होकर चुदवाने लगी। मैंने इसी उत्तेजना में उससे अदला-बदली के बारें में बात की। आशीष और गीता के साथ उस समय उसने कुछ जवाब नहीं दिया, और पूरी ताक़त से चुदाई में जुट गई। मैंने महसूस किया कि आज वह और अधिक मज़े से चुदवा रही है। फिर थोड़ी ही देर में वो झड़ गई।

उसने पलट कर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह ज़ोरों से चूसने लगी। उसकी इस हरक़त से मैं भी थोड़ी ही देर में उसके मुँह में ही झड़ गया। मैंने उससे फिर अदला-बदली के बारे में पूछा तो उसने कुछ कहा तो नहीं पर हल्के से मुस्कुरा दी। यह मेरे लिए हरी झंडी थी। मैंने फटाफट आशीष को फोन करके बता दिया कि हमलोग तैयार हैं और मैंने उससे जगह और समय भी तय करने को कह दिया।

हमलोगों ने अगले शनिवार की योजना तय की और हम लोग बेसब्री से शनिवार की प्रतीक्षा करने लगे। इस बीच हम लोग कभी-कभी फोन सेक्स भी कर लेते थे। उस शनिवार को हम लोगों ने अपने बच्चों को उनकी नानी के घर भेज दिया। मैं एक बोतल वोदका लेकर घर आ गया था दोपहर में ही।

शाम को हम लोग तैयार होकर आशीष और गीता की प्रतीक्षा करने लगे। मैंने ढीली टी-शर्ट और लोअर पहन लिया। मैंने अन्दर से कुछ नहीं पहना था। अनीता ने गुलाबी रंग की सेक्सी सी साड़ी पहन रखी थी, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। ठीक ७ बजे आशीष और गीता आ गए। हम लोग आपस में बहुत गर्मजोशी से मिले। जैसे एक दूसरे को काफी पहले से जानते हों। हमारी बीवियाँ थोड़ा सा झिझक रहीं थीं, लेकिन मैंने और आशीष ने माहौल को सँभालने की पूरी कोशिश की।

मैंने आशीष को कपड़े बदलने को कहा, जिससे हम आराम से बातें करने लगे। गीता ने भी हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी, और बहुत ही सुन्दर लग रही थी। मेरा लंड तो उसको देखकर ही आपे से बाहर हो चला था। शायद उसने भी मेरी हालत पहचान ली थी। थोड़ी ही देर में आशीष भी कपड़े बदल कर आ गया। उसने शॉर्टस और शर्ट पहन रखी थी और वह भी बारबार अनीता को देखने की कोशिश कर रहा था। मुझे लगा उसने भी अन्दर से कुछ नहीं पहन रखा था।

मैं तब तक वोदका की बोतल, लिम्का और ४ गिलास ले आया और पैग बनाने लगा। हम लोग बातें करते-करते वोदका की बोतल खतम करने लगे। हम लोग पहले बातें करने में थोड़ा शरमा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे पैग खत्म हो रहे थे हमलोग आपस में खुलते जा रहे थे। अब मैं आप लोगों को यह कहानी एक एकांकी की तरह सुनाता हूँ कि हम आगे कैसे बढ़े।

दृश्य - 1 (ड्राईंग रूम में वोदका पीते हुए)

आशीष - अनीता तुम्हारी चूत किस रंग की है?

(अनीता शरमा जाती है है और कुछ नहीं बोलती, बस धीरे-धीरे मुस्कुरा देती है।)

अमित - यार उसी रंग की होगी जैसी गीता भाभी की है, वैसे अनीता की चूत एकदम चिकनी है और गुलाबी रंग की है। गीता भाभी की चूत कैसी है।

आशीष - गीता की चूत भी एकदम मक्खन की तरह है और एकदम लाल। तुम चाहो तो देख सकते हो। (गीता यह सुनकर शरमा जाती है।)

(हमलोग और वोदका पीने लगते हैं, मैं जानबूझ कर बीवियों के पैग बड़े और अपने पैग छोटे बना रहा था।)

अमित - चलो यार, थोड़ा नाश्ता कर लेते हैं।

आशीष - आज तो हम चूत और मम्मों का ही भोजन करेंगे।

अमित - यह ठीक है गीताजी आपके मम्मे दिखाओ ना।

गीता - पहले अपना लंड तो दिखलाओ।

अनीता - चलो हम लोग बेडरूम में चलते हैं।

दृश्य - 2 (बेडरूम - हाथ में अन्तिम पैग) आशीष, गीता, मैं और अनीता चारों बिस्तर पर हैं

आशीष - अमित टीवी ऑन कर दो ना यार, कोई फिल्म है तो लगा दो। (उसने मेरी ओर देखकर आँख मारी, और मैं उसका इशारा समझ गया था।)

फिल्म चलाते ही उसमें ब्लू-फिल्म शुरु होती है। हम लोग मूड में थे इसलिए कोई कुछ नहीं बोला और फिल्म देखनी शुरू कर दी। बिस्तर पर पहले मैं लेटा था, फिर गीता, उसके बाद अनीता और फिर आशीष। हमारा बिस्तर काफी बड़ा था पर अगर चार लोग उसमें लेटे तो एक दूसरे से छू जाते ही। हमारा शरीर भी एक-दूसरे से छू रहा था। मुझे गीता की टाँग लग रही थी, वही हाल आशीष का भी था। सामने ब्लू फिल्म चल रही थी, जिसमें २ लड़के और २ लड़कियाँ थीं, पहले लड़के ने लड़की के मुँह में अपना लंड डाल रखा था और दूसरी लड़की उसकी चूत चाट रही थी, दूसरा लड़का दूसरी लड़की की चूत चाट रहा था।

यह सब देखकर और गीता का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा एकदम कड़क हो गया था और वह पूरी तरह खड़ा हो चुका था, यही हालत आशीष की भी थी। हम दोनों ने फिर गीता और अनीता की तरफ करवट कर ली और उनके थो़ड़ा और समीप आ गए जिससे मेरा लंड गीता की टाँग को छूने लगा, और आशीष ने भी लगभग ऐसा ही किया। गीता और अनीता के चेहरे भी लाल हो चुके थे, शायद यह हमारा पहला अनुभव था इसलिए काफी अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मैंने गीता के मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। आशीष भी अनीता का पेट और टाँगें सहला रहा था। ब्लू-फिल्म की मादक आवाज़ों ने कुछ और भी मज़ा पैदा कर दिया था।

हम दोनों ने धीर-धीरे उन दोनों की साड़ी ऊपर कर दी। दूधिया रोशनी में उन दोनों की टाँगें और जाँघें ऐसी चमक रहीं थीं कि वहाँ आँखें नहीं ठहर पा रहीं थीं। यह कह पाना मुश्किल था कि दोनों में से कौन अधिक गोरी थी। गीता ने लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी। साथ में हम गन्दी बातें भी कर रहे थे, जो बड़ी मस्त लग रही थीं। अनीता ने काली कच्छी पहन रखी थी। गीता की कच्छी नीचे से गीली थी, जिससे लगता था वह पूरे मज़े में है, वही हाल अनीता का भी था।

आशीष - यार अमित तेरी बीवी साली बड़ी मस्त है, इसकी चूत क्या फूली हुई लग रही है ऊपर से।

अमित - हाँ यार तेरा माल भी बड़ा मस्त लग रहा है, सोचता हूँ खा जाऊँ।

आशीष - चल यार दोनों को नंगा कर देते हैं (उसने अनीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।)

उसको देखकर मैंने भी गीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।

अनीता - अरे तुम दोनों भी तो नंगे हो जाओ, या ऐसे ही पड़े रहोगे?

फिर देखते ही देखते हम चारों नंगे हो गए। ट्यूबलाईट की रोशनी में हम चारों के बदन ऐसे चमक रहे थे कि पूछिए मत, शायद ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया मुझे।

आशीष - मैं तो अनीता की चूत चाटूँगा! (और उसने अनीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।)

अमित - मैं भी गीता की चूत ही चाटूँगा! (और मैंने भी गीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।

गीता - चाटो राजा चाटो, ज़ोर से चाटो... आज बहुत मज़ा आ रहा है... आआआ... उउअअमममममम... खा जाओ आआहहहाहा...

अनीता - ज़ोर से चाटो... आआहहहह... उम्म्म्म्म्ममममम आहहाहाहाहाह- आऊचच्च्च वाऊ

क़रीब २०-२५ मिनट तक चूसने के बाद गीता ने मुझे बालों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर चिपका लिया। मुझे लगा कि वह झड़ने वाली है और थोड़ी ही देर में ही वह मेरे मुँह में झड़ गई। उसने मेरा मुँह पूरा भिगो दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैं मुँह धोकर आया हूँ। फिर हम दोनों आशीष और अनीता को देखने लगे। अनीता भी बस अब झड़ने ही वाली थी और देखते ही देखते वह भी आशीष के मुँह में झड़ गई, वह दृश्य बड़ा ही मस्त था जब वह झड़ रही थी। मैंने आगे बढ़कर उसके होंठों को चूम लिया।

फिर हम चारों एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। मैंने कस-कस कर गीता के होंठों को चूसना शुरु कर दिया। कुछ देर चूसने के बाद मैंने गीता को बिस्तर के पीछे दीवार से लगा दिया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। अब वह हिल नहीं सकती थी, और मैं उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा। वहीं आशीष ने अनिता को बिस्तर पर लिटा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल कर झटके मारने शुरु कर दिए। मैंने ध्यान दिया तो मुझे आशीष का लंड बड़ा मस्त लगा।

आशीष - अमित मज़ा आ रहा है ना?

अमित - हाँ यार, ऐसा मज़ा तो पहले कभी नहीं आया। यार दोनों एक ही साथ झड़ेंगे।

आशीष - "आज इन बहन की लौड़ियों को मस्त करके छोड़ेंगे, हर तरह से जैसे ब्लू-फिल्मों में देखा करते हैं।

अमित - हाँ आज सारी हसरतें जो सिर्फ हम सोचते थे वह पूरी करेंगे।

क़रीब २०-२५ मिनट बाद बातें करते-करते हम झड़ने लगे और मैंने अपना सारा माल गीता के मुँह में डाल दिया। वहीं आशीष ने भी अपना पूरा माल अनीता के मुँह में उड़ेल दिया था। वे दोनों बाथरूम में जाने लगे, मुँह साफ करने के लिए, पर हमने उन्हें रोक दिया। मैंने गीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दे, जैसे ब्लू-फिल्मों में करते हैं। शायद नशे में होने के कारण या मज़े की वज़ह से अनीता ने भी अपना मुँह खोल दिया और गीता ने अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दिया। फिर हमने अनीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल गीता के चेहरे पर गिराए। अनीता ने वैसा ही किया। फिर मैंने और आशीष ने वह सारा माल उन दोनों के चेहरे पर से पोंछ दिया। उसके बाद गीता और अनीता ने हम दोनों को चूम लिया और एक बार फिर हम लोगों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। हम इन बातों की बस कल्पना ही करते थे, पर आज करके कुछ अच्छा और थोड़ा अजीब सा लग रहा था, शायद पहली बार करने के कारण।

उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ करके दुबारा ब्लू-फिल्म देखने में लग गए। इस बार दोनों लड़कों ने अपना लंड एक लड़की की चूत और गाँड में डाल रक्खा था और दूसरी लड़की एक लड़के को चूम रही थी और कभी-कभी नीचे वाला लड़का उसकी चूत भी चाट लेता था। यह सब देख आशीष बोला।

आशीष - यार क्या मस्त चुदाई हो रही है, अनीता तुम्हारा क्या ख्याल है इस बारे में?

अनीता - अरे हम तो कितने भी लंड ले लेंगे, तुम डालने वाले बनो।

पहली बार अनीता के मुँह से लंड शब्द सुनने के बाद आशीष कुछ अधिक ही उत्तेजित हो गया और वह गीता और अनीता के बीच बैठ गया और दोनों की जाँघें सहलाने लगा। मैं भी जाकर उन लोगों के पास बैठ गया।

अमित - यार आशीष तु्म्हारी बीवी बड़ा मस्त लंड चूसती है।

गीता - तुम भी तो बड़ी मस्त चूत चाटते हो।

हम लोग इसी तरह की बातें करने लगे। गीता मेरा और अनीता अमित का लंड सहला रही थी। अब तक हमारे लंड पूरी तरह खड़े हो चुके थे और हम चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थे। अचानक आशीष मेरा लंड पकड़ते हुए बोला - यार अमित तेरा लंड तो बड़ा मस्त है, अनीता तू तो बहुत खुश रहती होगी।

इसकी इस हरक़त का मुझे अंदाज़ा नहीं था, पर उसकी इस हरक़त की वज़ह से मेरे शरीर में नई झुरझुरी दौड़ गई और मेरा लंड और भी कड़ा हो गया।

अमित - हाँ पर तुम्हारा लंड भी बड़ा मस्त है यार, भाभी की चूत तो निहाल हो जाती होगी।

आशीष - वो तो तुम गीता से ही पूछ लो।

गीता - लंड में क्या रखा है, कौन कितना मज़ा दे पाता है बात इस पर निर्भर करती है।

अनीता - गीता, चलो एक-एक पैग और बना लाते हैं।

गीता - हाँ चलो।

उनके जाने के बाद मेरा भी मन आशीष का लंड पकड़ने का हुआ, और मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया। मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ कि मैंने कोई गरम चीज़ पकड़ ली हो, लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा।

आशीष - ज़ोर से पकड़ो यार। (और वह भी मेरा लंड पकड़ लेता है और मुट्ठ मारने लगता है। मैं भी उसका मुट्ठ मारना शुरू कर देता हूँ। हमारे लंड और भी कड़े हो गए।)

अमित - यार जब हमारी बीवियाँ इसे मुँह में लेतीं होंगी तो उन्हें कैसा लगता होगा?

आशीष - हम भी लेकर देख लेते हैं।

अमित - बीवियाँ देखेंगी तो क्या सोचेंगी?

तब तक गीता और अनीता आ जाती हैं और हम सामान्य होकर बैठ जाते हैं। पैग पीने के बाद हम लोग फिर ब्लू-फिल्म देखने लग जाते हैं, साथ ही एक-दूसरे को चूमना भी शुरु कर देते हैं।

मैंने गीता को सीधा लिटाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। वहीं दूसरी तरफ आशी, ने भी अनिता को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। हम लोग इस स्थिति में लेटे थे कि अनीता का मुँह गीता के मुँह के ऊपर आ रहा था और वो दोनों आसानी से एक-दूसरे को चूम सकतीं थीं। मैं भी कभी-कभी धक्के मारते हुए अनिता को चूम लेता था। वहीं आशीष भी गीता को चूम लेता था। बीच-बीच में बड़ा ही मस्त दृश्य उपस्थित होता था। गीता और अनीता की आहहहह... उम्म्मम्म... आउउच्चचच की आवाज़ें आ रहीं थीं। क़रीब आधा घंटा चोदने के बाद जब हमें लगा कि अब हम झड़ने वाले हैं तो मैंने आशीष को आँख मार दी, शायद वह मेरी बात समझ गया था।

तब तक गीता और अनीता भी झड़ चुकीं थीं। हम दोनों ने उन्हें सीधा लिटाकर उनके मुँह की तरफ मुट्ठ मारनी शुरु कर दी। वे हमारा मतलब समझ कर थोड़ी आनाकानी करने लगीं, पर हम उनके ऊपर बैठे थे तो वे उठ नहीं सकतीं थीं। कुछ ही देर में हमने अपना सारा माल उनके मुँह पर उड़ेल दिया और पस्त होकर लेट गए। उनका पूरा मुँह हमारे वीर्य से भर गया था। तभी वे दोनों उठीं और हमें कस के पकड़ कर हमें चूमने लगीं। अब हमारा ही वीर्य हमारे मुँह में था। पहले-पहले थोड़ा सा अजीब सा लगा पर जब उन दोनों ने हमें नहीं छोड़ा तो हमें भी अच्छा लगने लगा। फिर हम लोगों ने बाथरूम में जाकर स्वयं को साफ किया।

हम लोग वापिस बिस्तर पर आकार आराम से बैठे, तब तक थोड़ी-थोड़ी भूख लग आई थी, तो मैंने अनीता को कहा कि थोड़ा नाश्ते का प्रबन्ध कर ले। तो गीता और अनीता दोनों किचन में चली गईं और थोड़ी देर में वह गरमा-गरम नाश्ता ले आई। हमलोग नाश्ता करने लगे। हम लोग नंगे ही बैठे थे और टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी। लगभग आधा घंटा बैठने के बाद हम लोग दोबारा गरम होने लगे थे। तब अनिता बोली, मैं बर्तनों को किचन में रख आती हूँ, और वह किचन में बर्तन लेकर चली गई।। तब तक मैंने गीता को अपने पास खींच कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया था और अपना लंड ठीक करके उसकी चूत के दरवाजे पर सटा दिया। गीता थोड़ा ऊपर उठकर फिर उसपर बैठ गई थी और हिलने लगी थी। तभी मुझे भारीपन का अहसास हुआ। जबतक मैं कुछ समझ पाता, आशीष ने अपना लंड गीता की गाँड में टिका दिया था, अब गीता में दो लण्ड घुसे हुए थे और आशीष धक्के पर धक्के मारने लगा था। मैंने धक्के मारने शुरु नहीं किए थे क्योंकि आशीष के धक्कों से मेरा लंड अपने-आप ही अन्दर बाहर हो रहा था। तबतक अनीता भी आ चुकी थी।

अनीता - अरे, गीता ने २-२ लंड ले लिए।

गीता - नहीं यार, ये पीछे से इन्होंने डाल दिया।

आशीष - क्यों, तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है क्या?

अमित - मुझे तो मस्त मज़ा आ रहा है।

अनिता हमारे सामने बैठकर आशीष के होंठ चूसने लगी और गीता मेरे होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर चोदने के बाद :

आशीष - पार्टी बदली जाए?

अमित - क्यों नहीं।

और वह गीता की गाँड से हटकर अनीता को अपने ऊपर बिठा लेता है, और चूत में लंड डाल देता है। कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और अनीता की चूत में डालने लगा। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद हम दोनों के लंड उसकी चूत में थे। ऐसा हमने उसी फिल्म में देखा था। उसकी चूत ऐसी टाईट लग रही थी कि बस पूछिए मत और नीचे से आशीष के लंड का एहसास जो बिल्कुल लकड़ी की तरह कड़क था। एक अजब सा अहसास हो रहा था। पहली बार मेरा लंड किसी दूसरे के लंड के साथ टकरा रहा था। थोड़ी देर में हमने फिर पार्टी बदल ली। इस बार मैंने गीता की गाँड में लंड डाला तो आशीष बोला - क्यों ना इस बार गाँड में लंड डालें। तब मैंने इसका लंड गीता की चूत में से बाहर निकाल कर गीता की गाँड में सटा दिया। आशीष का लंड काफी कड़क लग रहा था। हमने दोनों लंड गीता की गाँड में डालने की कोशिश की, उसे दर्द भी बहुत हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद दोनों लंड उसकी गाँड में थे। वैसे चोदने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। करीब २०-२५ मिनट बाद हमलोग उसकी गाँड मे ही झड़ गए। अब तक हमारे लंडों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो दुबारा खड़े होने की हालत में नहीं थे।

हम लोग अनीता और गीता को छोड़ कर ड्राईंग रूम में आ गए थे।

अमित - यार दिल भर गया पर मन नहीं भरा।

आशीष - हाँ यार, अभी तो और चोदने का मन कर रहा है।

अमित - पर यह लंड पता नहीं कब तक खड़े होंगे।

आशीष - एक तरीका है इन्हें खड़ा करने का।

अमित - कौन सा तरीका?

तब अमित ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर हल्के-हल्के खड़ा होने लगा था। मैंने भी उसका लंड पकड़ कर ऐसा ही किया, पर वो पहले वाली बात नहीं आ रही थी। तभी आशीष ने कुछ ऐसा किया कि मेरा लंड पहले से भी अधिक कड़क हो गया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था, उसकी ऐसी हरक़त की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मेरा लंड एकदम से कड़क हो चुका था। मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैंने भी उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और जैसा कि मुझे लगता था, उसका लंड भी कुछ ही देर में पूरी तरह टाईट हो चुका था। बड़ा ही मस्त लग रहा था उसका लण्ड।

आशीष - चलो, हम फिर चुदाई के लिए तैयार हो गए हैं, अब जाकर बहन की लौड़ियों को चोद डालते हैं।

अमित - हाँ चलो उनकी चूत का भोसड़ा बना देते हैं। और हम उठकर बेडरूम की तरफ चल पड़े।

पति के दोस्त के साथ

प्रेषिका : सुधा

आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ !

मैं ३५ साल की ख़ूबसूरत महिला हूँ, मेरे पति मुझे पूरी संतुष्टि प्रदान करते हैं।

इचलकरंजी, महाराष्ट्र में कपडे का काम था हमारा, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा, उस वजह से उनकी मानसिक हालत तनाव भरी रहती थी और उन्होंने मेरी और ध्यान देना छोड़ दिया था।

फ़िर हम लोग इचलकरंजी छोड़ कर कोयाम्बटर तमिलनाडु आकर बस गए। यहाँ पर नया कारोबार बसाने में जुट गए।

यहाँ पर उनकी एक आदमी से मित्रता हो गई जिनका नाम अमृत लाल है, दिखने में एकदम जवान ख़ूबसूरत हैं, मेरे पति का ध्यान नया कारोबार बसाने में था और मेरी सेक्स की भूख बढ़ती ही जा रही थी, उनका ध्यान मेरी ओर था ही नहीं !

कुछ दिनों बाद वो व्यापार के सिलसिले मैं दिल्ली चले गए, पीछे से अमृत जी को मेरा ध्यान रखने का कह कर गए।

मैंने बड़ी हिम्मत करके अमृतजी के मोबाइल पर फ़ोन लगाया और कहा कि घर पर कुछ सामान लाना हैं सो आप आ जाइए !

दोपहर को करीब ३ बजे अमृतजी आ गए, और मैं अमृतजी के साथ होंडा बाइक के पीछे बैठ कर मार्केट रवाना हो गई। मैं जान बूझ कर उनसे चिपक कर बैठी थी, मेरे मम्मे अमृतजी के पीठ में धंस रहे थे।

वो बोले- भाभीजी आप आराम से पकड़ने के लिए अपने हाथ मेरी जांघो पे रख लें !

लेकिन शर्म की वजह से हिम्मत नहीं हुई। बाइक चलाते हुए उन्हें भी मस्ती सूझ रही थी। वो बार बार ब्रेक लगा रहे थे जिनकी वजह से मेरे मम्मे उनकी पीठ में गड़ें !

खैर सामान लेकर वापस घर पहुंचे तो मैं उनके और मेरे लिए चाय बनाने किचन में चली गई, पीछे से अमृतजी भी किचन में आ गए, उन्होंने मुझसे पूछा- भाई साहब की बहुत याद आ रही हे क्या ?

घर में मैं अकेली और उनका किचन में आना, मैं पूरी शरमा गई थी। अमृतजी ने धीरे से मेरे कंधो पे हाथ रखा और अपना चेहरा मेरे चेहरे के सामने कर दिया, मैंने अपनी आँखें एकदम बंद कर दी, मुझे महसूस हुआ कि उनके होंठ मेरे होंठ से चिपक गए थे, उन्होंने मेरी यह मौन स्वीकृति मान ली थी।

फ़िर उन्होंने मुझे जो किस करना शुरु किया तो बंद करने का नाम नहीं ले रहे थे, गालों पे, गर्दन पे, हाथों पे, हथेली पे, फ़िर हम खुल गए और बेडरूम में जाकर चुदाई शुरू की तो मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया !

Friday, April 24, 2009

Son fucking mother

Taboo 2 features a son seducing his mom to have sex

Wednesday, April 22, 2009

किरायेदारों से चुदवाया

प्रेषिका : पायल

मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। शादी से पहले मैं बहुत चुदी हुई लड़की थी। दसवीं क्लास से चुदवाने का ऐसा चस्का लगा कि अब में मर्द के बिना रहना सपने में भी नहीं सोचती। मर्द के बिना मेरा जिस्म मचलता है।

लो अब मुद्दे पे आती हूँ।

मेरी उमर सिर्फ़ २४ साल की है मैं अपने ससुराल में रहती हूँ, मेरी शादी राहुल मेहरा के साथ २-२-२००८ में हुई। मेरी शादी घरवालो ने एक अमेरिकन सिटिज़न लड़के के साथ की। सब जानते है पंजाब में बाहर के रिश्ते सभी ढूंढते हैं, शादी के बाद पति देव ३ महीने भारत में रहे, खूब मज़े किए, खूब चुदाई करवाई।

मेरी सासू माँ और ससुर जी दोनों सरकारी मुलाज़िम है ससुर जी भी और सासू माँ सरकारी टीचर। एक देवर है नागपुर में पढ़ाई करता है एक ननद है १९ साल की, वो भी ए कर रही है। सो दोस्तो मेरा ससुराल वाला घर अमृतसर के ख़ालसा कॉलेज के पास है वहाँ बाहर से लड़के पढ़ने आते हैं सो ससुर जी ने ऊपर वाला हिस्सा किराए पे दे रखा है।

मेरा घर बहुत सेफ है पूरी तरह बन्द, बड़ा सा मेन-गेट है। ३ लड़के किराए पे रहते हैं वो मुझे जब मिलते तभी वासना उनकी आँखों में दिखती वो मेरी जवानी देख रह नहीं पाते। पति के जाने के बाद मैं चुदने को बेचैन रहने लगी। फिर मैंने सोचा कि उनमें से एक लड़के को मैंने भी लाइन देनी शुरू कर दी। जब वो छत पे बैठे रहते, मैं कपड़े सुखाने के लिए जब जाती तो जानबूझ कर झुक कर उनको अपने मस्त गोल मोल मम्मे दिखाती। उनकी निगाहें भी मेरे मलाई जैसे मम्मो पे रहती। जब मैं उनके पास से निकलती, अपने होंठ चबा देती, गाण्ड मटका मटका के चलती। वो आहें भरते, कॉमेंट देते- क्या माल है यार !

उनकी ऐसी बातें मेरी प्यास और बढ़ा देती। आख़िर एक दिन ऐसा मिल ही गया। सास ससुर को किसी काम से मेरी बड़ी वाली ननद मिन्नी के घर जाना था। मिन्नी दिल्ली में रहती है, ननद के पेपर चल रहे थे, वो वैसे भी रोज़ ९ बजे चली जाती मेरी सासू माँ उन लड़कों को अपने बच्चों की तरह समझती और रोज़ सुबह उनके लिया चाय बनवा के भेजती इसीलिए उन्होने मुझे कहा कि तुम इनकी चाय बना दिया करना और आवाज़ लगा देना, ले जाया करेंगे।

अँधा क्या चाहे दो आँखें ! मैंने कहा- जी ठीक है !

अगली सवेर हुई, मैं जल्दी उठ जाती हूँ वैसे भी आज मुझे बन-फब के रहना था, सेक्सी कपड़े, मैंने गहरे गले का सूट पहन लिया वो भी नेट का, जिसके पीछे ज़िप। मैंने रजनी के जाने के बाद गेट बन्द कर रसोई से चाय बना के उनको आवाज़ लगाने की बजाए खु्द ही उपर चली गई, दरवाज़ा खड़काया तो उनमे से सुमित ने दरवाज़ा खोला मुझे देख वो खुश हो गया, बोला- भाभी आप ! चाय?

मैंने कहा- जी हाँ जनाब ! सासू मां मेरी ड्यूटी लगा के गई हैं !

उसने टी-शर्ट और नीचे सिर्फ़ कच्छा पहन रखा था मेरी नज़र बार बार उसके फ़ूले हुए आधे जगे लंड पे चली जाती।

वो बोला- भाभी ! क्या देख रही हो? कभी अपने पति को कच्छे में नहीं देखा?

मैं बोली- हट !

उसने चाय मेज़ पे रख दी और मेरी कलाई पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपनी बाहों में ले लिया।

मैंने कहा- क्या कर रहे हो?

बोला- तुमने हमें बहुत तड़फ़ाया है, हम तीनो के लंड रोज़ खड़े करती हो, जानबूझ कर अपने मम्मे दिखाती हो, कभी होंठ काटती हो, कभी ज़ुबान होंठों पे फेरती हो ! इतनी गर्मी तो आपकी ननद रजनी में भी नहीं है ! कहते हुआ बोला- आज हम सब मिलकर चाय पीते है !

विकी उठा और उसने भी मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोला- आज मौका है, भाभी चुदवा लो ! हम जानते हैं तुम बहुत चुदासी औरत हो !

तभी राजू बोला- हाँ भाभी ! आज चोदने दो !

मैंने सोचा- तीन लड़के ! शादी से पहले दो लड़को के साथ एक बार में मैं सो चुकी थी, चूत गीली होने लगी और मैंने खुद को उन्हें सौंपते हुए विकी से चिपक गई।

तभी राजू ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया, मुझे पता नहीं चला। जब सलवार नीचे गिर गई, विकी ने पीछे से ज़िप खोलते हुए कमीज़ उतार दी। सुमित ने मेरी ब्रा खोल दी। मैं उनकी रज़ाई में घुस गई और वो भी रज़ाई में आ गए।

मैंने अंदर से हाथ डाल विकी और सुमित के लंड पकड़ लिए। राजू रज़ाई से बाहर खड़ा था, उसने अपना सोया हुआ लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसको चूस चूस के खड़ा कर दिया, लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।

विकी बोला- रंडी सच में बहन की लौड़ी चुदासी है !

तभी उसने भी रज़ाई से निकलते हुए अपना आधा खड़ा लंड मेरे मुँह में डाल दिया, उसका खड़ा कर दिया, सुमित ने भी अब अपना लंड मेरे होंठों के पास लगा दिया और मैं बारी-बारी तीन लंड चूसने लगी।

वाह ! कितना मज़ा दे रही है साली ! तभी राजू बोला- चल साली टाँगे खोल ! चिकनी चूत चाटने दे !

वो मेरी चूत चाटने लगा।

आिइ उईईइ हा !

साथ साथ मेरी गाण्ड में उंगली करने लगा। सुमित का लंड मैं बिना रूके चूस रही थी।

तभी राजू ने मुझे कहा- घोड़ी बनो भाभी !

मैं घोड़ी बन गई। उसने कोल्ड क्रीम अपने लंड पे लगा के लंड मेरी गाण्ड में डाल दिया। हाए ! क्या किया ! इसको क्यूँ चोद रहा है?

बोला- मुझे गाण्ड मारनी पसंद है !

सुमित नीचे से मेरे स्तनों को चूस रहा था, कभी चूचुक को काट देता। विकी मेरे मुँह में डाल कर चुसवा रहा था, राजू ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकाल लिया और खुद सीधा लेट गया, मुझे कहा कि ऊपर से आ कर गाण्ड में डाल लो !

मैंने उसका लंड पूरा अंदर ले लिया।

तभी विकी ने दराज़ से कंडोम निकाल कर अपने लंड पे चढ़ा लिया और बीच में बैठ उसने मेरी चूत पे थूक लगा के उंगली डाली ! सीईईईईई उहह आह के साथ उसने एक मिनट में मेरी फुदी में ज़ुबान डाल के गरम कर दिया और लंड पेल दिया। जब उसने पूरा घुसा दिया, राजू रुक सा गया। लेकिन जल्दी दोनों तेज़-तेज़ चोदने लगे। हाए !साली तू तो अपनी कुँवारी ननद से भी खरा माल निकली !

सुमित मस्ती में लंड चुसवा रहा था। तभी राजू का झड़ने वाला था उसने निकाल लिया और तभी विकी को निकलना पड़ा लेकिन जल्दी से सुमित नीचे लेट गया और अपना लंड राजू की जगह डालते हुए चोदने लगा। विकी ने फ़िर डाल दिया।

राजू बोला- चूस के माल निकाल दो !

लेकिन मैं उसकी मूठ मारने लगी।

चूस चूस !

तभी उसको जोश आया उसने खुद मूठ मारते हुए अपना पूरा माल मेरे होंठों पे डाल दिया और लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं चुद रही थी, गरम थी, मैं भी उसका एक एक कतरा पी गई और चाट चाट के साफ कर डाला।

तभी विकी उठा और उसने भी कंडोम उतार दिया और मूठ मारते हुए अपने लंड का सारा माल मेरे मम्मों पे डाल दिया और उसको मेरे निप्पल्स के साथ मसलने लगा। मैंने झट से उसको खींचा और चाट कर साफ कर दिया। वो दोनों बराबर में लेट के हाँफने लगे और सुमित अब मुझे अपने नीचे डाल के फुदी मारता हुआ जल्दि ही छुट गया। उसने सारा माल मेरे अंदर डाल दिया। उसने कंडोम नहीं लगाया था।

सो दोस्तों ! दो बजे तक कमरे में नंगा नाच चला !

तीनों ने एक एक बार और चोदा, मेरी प्यास बुझा दी, इतना मज़ा दिया।

फिर मैं हर रोज़ एक से चुदवाती और फिर ननद रजनी को भी खेल का हिस्सा बना लिया।

Sunday, April 19, 2009

Bollywood lesbian fucking scene

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Saturday, April 4, 2009

बहन और उसकी ननद की चुदाई

बहन और उसकी ननद की चुदाई

मेरा नाम सुमित कुमार है, मेरी उम्र २६ साल है, मैं अम्बाला, हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं इस समय चंडीगढ़ में नौकरी करता हूँ

बात आज से ४ साल पहले की है, मैं किसी काम से दिल्ली गया हुआ था। तो उस दिन वो काम किसी वजह से नहीं हुआ। दिल्ली में मेरी बड़ी बहन रहती है जिस का नाम सुमन है। तो मैं रात को देर होने की वजह से उस के घर रुक गया तो मेरी दीदी के घर उसकी ननद आई हुई थी उस का नाम कोमल था, वो अपने पति के साथ मुंबई में रहती है वो कुछ दिनों के लिए वहां आई हुई थी। वो देखने में काफी सुंदर है और उसकी चूची काफी बड़ी हैं जोकि पहले भी उस को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था लेकिन उस दिन वो काफ़ी स्मार्ट लग रही थी।

हम रात को खाना खाते समय बात करते रहे। बात करते करते मैं उस से काफ़ी घुल-मिल गया था। खाना खाने के बाद दीदी और जीजाजी जल्दी ही सो गए और हम दूसरे कमरे में टीवी देखते रहे। मैंने यह बात नोट की कि उसका ध्यान टीवी पर कम और मेरी तरफ़ ज्यादा है। मैंने एक दो बार उसकी आंखों में आंखें डाली तो उसने अपना ध्यान टीवी की तरफ़ कर लिया। ठण्ड होने की वज़ह से हम एक ही रजाई में बैठे हुए थे क्यूंकि दूसरी रजाई दीदी अपने साथ अपने कमरे में ले गई थी।

बैठे बैठे मेरा पैर अकड़ गया तो मैंने ज्यों ही अपना पैर खोला तो मेरा पैर उस के पैर से थोड़ा सा लगा मेरे अंदर करंट सा दौड़ गया और मेरा लण्ड खड़ा हो गया लेकिन उस ने कुछ नहीं कहा तो मैंने हिम्मत कर के अपना पैर थोड़ा सा बढ़ाया और उस के पैर से थोड़ा और छुआ दिया, तो भी वो कुछ नहीं बोली। हम कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे तो मैंने फिर अपना हाथ उस के पैर पर रख दिया और धीरे धीरे उस की जांघों पर ले आया लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली और टी वी देखती रही। मैं अपना हाथ उसकी जांघों पर फिराता रहा और फिर मेरा हाथ उसकी सलवार के नाड़े तक पहुँच गया। जैसे ही मैंने उसके नाड़े को खींचना चाहा तो उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ गुस्से से देखा और बोली- यह क्या कर रहे हो?

उसकी यह बात सुन कर मैं डर गया और आराम से बैठ गया। थोड़ी देर बाद वो उठ कर अपने कमरे में सोने के लिए चली गई और उस के जाने के कुछ देर बाद मैं भी टीवी बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए चला गया। मैं जा कर बेड पर लेट गया, मैं रात को सिर्फ अंडरवीयर और बनियान में सोता हूँ। मेरा लण्ड खडा होने के वजह से बहुत देर मुझे नींद नहीं आई, काफी देर बाद मैं सो गया।

करीब रात के २ बजे मुझे लगा कि कोई मेरे पास लेटा है जो मेरे लण्ड को हाथ में लिया हुआ है और हिला रहा है। मैंने ऑंखें खोली तो वो कोमल थी। वो बोली कि मैं बाहर तुम पर गुस्सा हुई मुझे माफ़ कर देना, मैं कब से तुम से चुदाई करवाने की सोच रही थी, मेरा सपना आज पूरा हो गया है।

फिर मैंने भी उस की चूची पकड़ ली और उन्हें दबाने लगा। फिर मैंने उसे नंगा कर दिया, उस ने मुझे नंगा कर दिया और शुरू हो गया हमारी चुदाई का कारनामा-

फिर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उसे दबाने लगा। जब भी मैं उसकी चूची दबाता, वो आह-आह करती। फिर मैं एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था। वो मेरा लण्ड अपने दोनों हाथो में ले कर हिला रही थी और कह रही थी- उसके पति का लण्ड काफी छोटा है, उसने आज तक उसको संतुष्ट नहीं किया, आज तुम मुझे संतुष्ट जरुर करना !

यह कह कर उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी। फिर मैंने उस को सीधा लिटा दिया और उस पर सवार हो गया। जैसे ही मैंने उस की चूत पर अपना लण्ड रख कर एक धक्का दिया और मेरा थोड़ा सा लण्ड उस की चूत में गया वो चिल्लाई और कहने लगी कि इसे बाहर निकालो और मुझे धक्का मारने लगी।

लेकिन मैं उसे कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने एक जोर से धक्का और मारा मेरा पूरा लण्ड उस की चूत में घुस गया, वो और जोर से चीखने लगी। मैंने फिर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उस का चीखना बंद हो गया। फिर मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, उसे भी मजा आने लगा और वो कहने लगी- और जोर से ! और जोर से !

अब मैंने भी स्पीड बढा दी और जोर -जोर से धक्के मारने लगा। मैं करीब एक घंटे बाद शांत हुआ। मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया। इस चुदाई के बीच वो पॉँच बार अपना पानी छोड़ चुकी थी। फिर हम ऐसे ही नंगे सो गए।

करीब एक घंटे बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मेरा लण्ड सीधा खडा था। फिर मैंने उस को कुतिया की तरह खड़ा किया और उसकी गांड पर थोड़ा सा थूक लगाया और उस पर अपना लण्ड रखा और एक जोर से धक्का मारा और एक बार में मेरा पूरा लण्ड उस की गांड में घुस गया। उसकी गांड काफी टाईट थी। वो दर्द के मारे जोर से चीखी। फ़िर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैं धक्के मारने लगा और करीब ४५ मिनट के बाद जब झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकाल कर उसे सीधा किया और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया और वो मेरा सारा वीर्य अपनी जीभ से चाट कर पी गई।

फ़िर सुबह होने को थी तो उसने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। मैंने भी अपने कपड़े पहने और सो गया।

मैं करीब 8 बजे उठा और नहा धो कर फ़्रेश हो गया। जब मैंने कोमल को देखा तो वो काफ़ी खुश लग रही थी।

फ़िर मैं अपना काम करने के लिए निकल गया। उस दिन काम तो हो गया पर मुझे काफ़ी देर हो गई। इसी वजह से मुझे फ़िर दीदी के घर रुकना पड़ा। जब मैं दीदी के घर आया तो मुझे पता चला कि जीजाजी अपनी कम्पनी के काम से बाहर गए हैं, अगले दिन आएँगे।

रात को हम खाना खा कर बिना टी वी देखे अपने अपने कमरे में सोने चले गए। मैं उस रात भी कोमल की इन्तज़ार में था। थोड़ी देर बाद कोई मेरे कमरे में आया तो मुझे लगा कि कोमल ही होगी क्योंकि कमरे की बत्ती बन्द थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे जोर जोर से चूमने लगा और उसके स्तन दबाने लगा।

वो भी मेरे लण्ड को अन्डरवीयर के ऊपर से पकडे हुए थी। फ़िर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और फ़िर उसके भी कपड़े उतार कर अपना लण्ड उसके मुंह में दे दिया। वो उसे चूसने लगी। उसे काफ़ी मज़ा आ रहा था।

फ़िर मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी चूत पर अपना लण्ड रख कर इतनी जोर से धक्का मारा कि वो उस धक्के को सह नहीं पाई और उसने जोर से चीख मारी क्योंकि मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जा चुका था। मुझे उसकी चुत्त आज काफ़ी टाईट लग रही थी।

इतने में किसी ने मेरे कमरे की बत्ती जला दी, मैंने पलट कर देखा तो वो कोमल थी और जिसकी चूत में मैंने अपना लण्ड डाला हुआ था वो मेरी बहन सुमन थी। मैं उसे देख कर दंग रह गया और मेरे पसीने छूट गए तो कोमल बोली- चोद आज अपनी बहन को ! चोद डाल ! उसके पति का लण्ड भी मेरे पति के लण्ड की तरह छोटा है। आज मेरी और उसकी दोनों की प्यास बुझा दे !

फ़िर सुमन बोली- आज अपनी बहन को चोद डाल मेरे भाई और उसे माँ बना डाल !

फ़िर मैंने रात को जम कर दोनों की चुदाई की और हम सो गए।

फ़िर अगले दिन सुबह जीजाजी का फ़ोन आया कि वो एक सप्ताह बाद आएंगे, तब तक तू अपनी दीदी के पास रुक जाना।

फ़िर क्या था हम तीनों ने दिन-रात जम कर चुदाई की और मैं वहाँ से आ गया।

उसके बाद जब भी मैं अपनी दीदी के घर गया, मैंने दीदी की जम कर चुदाई की।

आज मेरी दीदी एक लड़के की माँ है और उसकी ननद एक लड़की की माँ है, दोनों बच्चों का बाप मैं हूँ।

भैया की मर्ज़ी से भाभी को चोदा

भैया की मर्ज़ी से भाभी को चोदा

वैसे तो मेरा घर दिल्ली में है पर अब से दो साल पहले ही मेरा तबादला बंगलोर में हो गया था। मेरी उम्र २७ साल है और मेरा रंग गोरा, सुडोल शरीर है और मेरा लण्ड ८’’ लम्बा और २.५ ’’ मोटा है। मेरे घर (दिल्ली)में मेरी मॉम, डैड, मेरे बड़े भैया और भाभी जी रहते हैं।

अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ, मैं एक बहुत ही सेक्सी किस्म का इन्सान हूँ।

ये कहानी मेरी और मेरी भाभी की है। अब से ६ साल पहले की बात है।

मुझे नग्न काम-कला वाली फिल्मों का बहुत शौक है। उस समय मैं रोज एक मूवी लाता था और देख कर मुठ मारता था। ये बात शायद मेरी भाभी को पता चल गई थी। एक बार मेरे मॉम डैड कुछ काम से १ महीने के लिए हमारे गाँव गए हुए थे। मैं रोज़ रात को सेक्सी मूवी देखने के बाद मुठ मर के ही सोता था। हमारा घर दो मंजिला है, मैं और मेरे भैया भाभी दूसरी मंजिल पर रहते थे और मेरा कमरा भाभी के बाजू में ही था।

एक रात को मैं मूवी देख रहा था तो मेरे को लगा कि कोई मेरे कमरे में झांक रहा है मैं देखने के लिए जैसे ही बाहर आया तो मैं अपनी भाभी को अंदर कमरे में जाते देखा। मैंने देखा कि भाभी ने कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही छोड़ दिया और खिड़की भी खोल दी। फिर मैं छुप कर देखने लगा कि अन्दर क्या हो रहा है।

तब मैंने देखा कि भैया सो रहे थे और भाभी ने उनकी लुंगी खोल कर उनका लण्ड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद उन्होंने एक एक करके अपने सभी कपड़े खोल दिए और नंगी हो गई और मेरी तरफ अपनी गांड करके बड़े ही सेक्सी ढंग से भैया का लण्ड चूसने लगी। फ़िर थोड़ी देर बाद भैया के ऊपर चढ़ कर अपनी चूत में लण्ड डाल कर बड़े सेक्सी ढंग से ऊपर नीचे होने लगी और पीछे मुड़ कर मुझे देखने लगी और जोर जोर से सीत्कार करते हुए भैया से चोदने के लिए कहने लगी।

तब मैं समझ गया कि भाभी मुझे ही यह सब दिखा रही हैं। भैया नीचे से जोर लगा कर भाभी को चोदने लगे, भाभी मेरी तरफ़ बड़े सेक्सी तरीके से देख रही थी। थोड़ी ही देर में भैया झड़ गए और भाभी को बोलने लगे- अब बस कर !

तब मैंने देखा कि भाभी प्यासी ही रह गई।

भाभी ने भैया से कहा- मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती हूँ !

तो भैया उन्हें प्यार से बोले- जानू ! मैं क्या करूँ?

तभी भैया को ना जाने क्या ख्याल आया और बोले- तू सैंडी से क्यों नहीं सम्बंध बना लेती।

भाभी पहले गुस्से में बोली- तुम्हारा दिमाग तो ठीक है?

फ़िर भैया के जोर देने पर मान गई। मैं यह सब खिड़की पर खड़ा सुन रहा था। मैं अपने कमरे में जाकर लेट गया, काफ़ी देर बाद मुझे नींद आई। सुबह जब मैं उठा तो आठ बज चुके थे और भैया ऑफिस जाने को तैयार थे, तब भैया बोले कि सैंडी आज तुम कॉलेज नहीं जाना घर का थोड़ा ख्याल रखना, तुम्हारी भाभी की तबियत कुछ ख़राब है !

मैं हाँ बोला और नहाने चला गया। उसके बाद जब मैं तैयार हो कर नाश्ता कर रहा था तो भाभी बहुत ही सेक्सी गाऊन पहन कर आई। उन्हें देख कर और रात की बात याद कर के मेरा लण्ड खड़ा होने लगा पर मेरी हिम्मत नहीं हुई और भाभी भी मुझे कुछ नहीं बोल पाई।

इस तरह दोपहर के दो बज गए।

तब भाभी ने मुझे कहा- मेरे सर में दर्द हो रहा है। क्या तुम मेरे विक्स लगा दोगे?

मैं बोला- जी भाभी !

मैं उनके कमरे में चला गया। जब मैं विक्स लगा रहा था तो भाभी धीरे धीरे कराह रही थी।

मैं बोला- भाभी ! बहुत दर्द हो रहा है?

भाभी बोली-हाँ ! बहुत दर्द हो रहा है।

मैं और जोर से सर दबाने लगा।

तब भाभी बोली- मेरे सीने में भी दर्द हो रहा है।

मैं थोड़ा घबराया और बोला- लाओ मैं वहाँ पर भी विक्स लगा देता हूँ, कुछ आराम मिलेगा।

वो कुछ नहीं बोली। फ़िर क्या था, मैंने फ़ौरन थोड़ी विक्स निकाली और उनके बड़े बड़े स्तनों पर विक्स लगाने लगा। वो सीत्कारने लगी। मैं दोनों बूब्स बारी बारी से दबा रहा था। मैने देखा- भाभी अपने गाउन के उपर से अपनी चूत को सहला रही थी। तब तक मैं भी पूरी तरह से गरम हो गया था, मैने झट से कहा- भाभी क्या तुम्हारी चूत में भी दर्द है?

मेरी ये बात सुनकर वो मुझसे चिपक गई और बोली- राजा ! चूत की वजह से ही तो मेरे स्तनों में दर्द है !

यहाँ मैं आपको बता दूँ मेरी भाभी और मुझे गन्दी गन्दी बातें करते हुए चुदाई में बहुत मजा आता है !

फिर तो मैं भी उनसे चिपक गया और उनके गाउन को उतार फेंका। अब वो मेरे सामने बिलकुल नंगी थी क्योंकि उन्होंने सुबह से ही कोई अंडर-गारमेंट नहीं पहना था। उसे नंगा कर के मैं पहले तो उसे देखता रहा फिर वाऽऽओ ! किया।

क्या फिगर है ३४ ३२ ३६ वाऽऽओ !

फिर मैंने उनकी चूत देखी, क्या गुलाबी चूत थी ! मैंने झट से उनकी चूत से मुंह लगा दिया और उनकी चूत को चाटने लगा।

वो बोली- हाँ जानू चाटो मेरी चूत को !

चूत सुनते ही मैं बोला- जानू मुझे चुदाई करते हुए गन्दी गन्दी बातें बोलना अच्छा लगता है, तुम मुझसे ऐसे ही चूत और लण्ड बोल बोल कर ही चुदाई करवाना !

वो बोली- मुझे भी ऐसे ही चुदाई में बहुत मजा आता है।

मैंने उसकी चूत को करीब आधे घंटे तक चाटा और वो इस दौरान कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी। मैंने वैसे भी बहुत सारी मूवी देखी थी तो मैं उसी तरह से उसकी चूत को चाट रहा था और ऊँगली कर रहा था। वो जोर जोर से बोल रही थी- ऐसे ही चाटो मेरी चूत को ! आज पहली बार कोई मेरी चूत को चाट रहा है। तुम्हारे भैया तो चाटते ही नहीं हैं और न ही मुझे शांत करते हैं !

मैं चूत में ऊँगली करते हुए बोला- रात को मैंने सब देखा था !

तो वो बोली- तुमसे चुदवाने के लिए ही तो मैंने तुम्हारे भैया से रात को तुम्हें दिखाते हुए ही चुदवाया था।

फिर वो बोली- मुझे अपना लण्ड दिखाओ !

तब मैंने अपना लोअर निकाल दिया। वो देखते ही बड़ी खुश हुई और बोली- वाऽऽओ ! तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा है, आज मजा आयेगा !

मैं बोला- भाभी ! इसको अपने मुंह में नहीं लोगी?

तब झट से उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा और मुंह में डाल कर चूसने लगी।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था, उनका मुंह बहुत गरम था, थोड़ी ही देर में मैं उनके मुंह में झड़ गया और वो सारा का सारा मेरा रस पी गई और बोली वह क्या रस है तुम्हारा ! आज पहली बार मैंने किसी लण्ड का रस पिया है !

फिर थोड़ी देर बाद वो फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी। थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड फिर से खडा हो गया। तब मैं बोला- भाभी ! अब मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ !

तो वो बोली- पहले मुझे गन्दी गन्दी गाली दो और मुझे अपनी रांड कहो तो मैं तुम्हें अपनी चूत दूंगी।

ये सुनते ही मैं बहुत खुश हुआ और बोला- साली रांड ! आज मैं तेरी चूत फाड़ कर रहूँगा। कुतिया ! तुझे इतनी बुरी तरह से चोदूंगा कि तू भी याद रखेगी !

फिर मैंने उसके बाल पकड़े और उससे बेड पर गिरा दिया और उसके बदन पर काटने लगा। वो कराहने लगी। तब मैं बोला- साली रण्डी ! तुझे मेरे भाई से संतुष्टि नहीं मिलती ! आज देख मैं तेरी चूत फाड़ कर रख दूंगा !

तो वो बोली- साले हरामी ! तेरे भाई के लण्ड में तो मुझे शान्त करने की हिम्मत ही नहीं है और तू कया मुझे चोदेगा ,मैंने झट से उसके मम्मे इतनी जोर से दबाये कि वो चिल्ला पड़ी और बोली थोड़ा धीरे पर मैं तब तक पागल हो गया था और एक साथ उसके उपर आ गया और उसकी चूत में अपना लण्ड रगड़ने लगा वो बोली गांडू लण्ड को चूत पर सहलाता ही रहेगा या इससे चूत में डालेगा भी मैंने झट से अपना लण्ड एक जोरदार झटके से उसकी चूत में डाल दिया। वो चिल्ला पड़ी और बोली- प्लीज़ इसे निकालो ! मुझे दर्द हो रहा है ! तुम्हारा बहुत बड़ा है !

पर मैं कहाँ सुनने वाला था, मैंने एक और झटका दिया और मेरा आधे से ज्यादा लण्ड चूत में चला गया। वो रोने लगी। फिर मैं तेज तेज से उसे चोदने लगा और बोला- बोल साली रंडी ! मजा आ रहा है? अब बोल मेरा लण्ड तो आराम से ले सकती है?

वो रोते हुए बोली- प्लीज़ सैंडी ! इसे निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है !

मैं बोला- जानू बस अब तो पूरा लण्ड चूत में घुस गया है, अब तू मजे ले !

और थोड़ी देर के लिए शांत हो कर उसके बूब्स को और उसके होंटो को चूसने लगा। थोड़ी देर में वो भी जोश में आ गई और बोली- हाँ जानू ! अब मुझे जोर जोर से चोदो !

और किलकारियां मारने लगी- अऽआऽऽआहऽहऽह ओऽऊऽऽओ ओहऽहह !

मैं भी जोश में था, मैं और जोर जोर से चोदने लगा। वो चुदाई के दौरान करीब तीन बार झड़ी। फिर आखिर में मैं और वो एक साथ झड़े और एक दूसरे से चिपक कर काफी देर तक लेटे रहे।

तब तक ७ बज चुके थे। हम उठे और भाभी ने भैया को फ़ोन करके कहा कि कुछ खाने को ले आयें आज उनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि कुछ पका सकें।

खेल खेल में भैया से चुदवाया

खेल खेल में भैया से चुदवाया

लेखिका : नेहा वर्मा

मुझे चुदाये हुए काफ़ी दिन हो गये थे। मेरा निशाना अब मेरा भाई था। अचानक ही वो मुझे सेक्सी लगने लगा था। घर पर पज़ामें में उसका झूलता लण्ड मुझे उसकी ओर आकर्षित करता था। उसे छुप कर नहाते हुए देखना मेरी आदत बन गई थी। जब कभी वो बाहर पेशाब करता था तो खिड़की से झांक कर मै उसका लण्ड देखा करती थी। वो भी मेरी नजरें पहचानने लग गया था। पर उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वो भी मुझे नहाते हुए देखने की कोशिश करता था, उसमें मैं उसकी सहायता भी करती थी। हमेशा ऐसी जगह खड़ी हो जाती थी कि वो आराम से देख सके। आज हम दोनों एक दूसरे पर जाल डालने की कोशिश कर रहे थे। जब दो दिल राजी तो क्या करेगा काजी।

हम दोनों बिस्तर पर रज़ाई डाले बैठे थे। अपने मोबाईल से खेल रहे थे। राहुल अपने दोस्तों की तस्वीरें दिखा रहा था। इतने में एक फोटो नंगी सी लगी।

"ये कौन है राहुल ... ?

" ये मैं हूँ ... देख मेरी बॉडी ... है ना सॉलिड ... !" उसने अपनी तारीफ़ की।

मैंने अंडरवियर की तरफ़ इशारा करके उसे छेड़ा,"और ये डंडा जैसा क्या है ... ?"

"चल हट ... ये तो सबके होता है ... " उसने झेंपते हुए कहा।

"पर इतना बड़ा ... "

"है तो मैं क्या करूं ... "

"ऐ ... मुझे बता ना कैसा होता है ये ... " मैंने उसे उकसाया।

"शरम आती है ... अच्छा पहले तू बता ... " राहुल ने शरमा कर कहा।

"हट रे ... लड़कियों के ये डन्डा नहीं होता है ... " मुझे सनसनी सी हुई।

"तो मुझे दिखा तो सही ... तेरे होता है, तू झूठ बोलती है ... " उसने मेरी चूत पर हाथ मारा ... और हाथ फ़ेर कर बोला "अरे हां यार ... ये कैसे ... " मुझे जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। मेरा मुँह लाल हो गया। पर मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिखाया।

"तेरे पास तो है ना ... " मैंने उसके लण्ड पर हाथ फ़ेरा। उसका लण्ड खड़ा हो गया था। वो भी एक बार कांप गया। उसने और फोटो निकाले।

"ये देख ... ये मेरा डन्डा है और ये देख ये रोहित का है ... " राहुल बताता जा रहा था, मेरे मन में खलबली मच रही थी।

इतने में मम्मी ने खाने के लिये आवाज लगाई ... "क्या कर रहे तुम दोनों ... चलो अब !"

हम दोनो रज़ाई में से निकल कर भागे ... "खाने के बाद और दिखाऊंगा ... !"

खाना खा कर हमने फिर से टीवी लगा दिया।

"हम सोने जा रहे हैं !"

" ... बत्ती बन्द करके सोना ... " कह कर मां ने अपना कमरा बन्द कर दिया।

हमने अपना कार्यक्रम जारी रखा।

हमने रज़ाई अब एक तरफ़ रख दी थी। उसका खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिख रहा था। उसने जानबूझ कर के अपना लण्ड नहीं छुपाया था। उसका मन था कि मैं उसका लण्ड पकड़ कर मसल डालूँ । मुझे सब पता था फिर भी राहुल को उकसाने के लिये मैंने भोलेपन का सहारा लिया।

"मैंने उसका लण्ड को छू कर कहा - "भैया ... इसे क्या कहते हैं ... ?"

"ये तो सू सू है ... !"

"नहीं ... और क्या कहते है ...? "

"वो ... देख गुस्सा नहीं होना ... इसे लण्ड कहते हैं !"

"हाय रे ... लण्ड ... ये तो गाली होती है ना ... और मेरी इसको ...? "

उसने मेरी चूत को छू कर और इस बार हल्का सा दबा कर कर कहा ... "इसको तो चूत कहते हैं ... " चूत छूते ही मेरे जिस्म में एक बार फिर से करण्ट दौड़ गया। मुझे इच्छा हुई कि साली को जोर से दबा दे।

"हाय रे ... चूत इसे कहते हैं ... और ये ... " मैंने बोबे की तरफ़ इशारा किया।

"उसने मेरे चूचक पर अपना हाथ रखते हुए और थोड़ा सा दबाते हुए कहा ... "ये इसे चूंची कहते हैं ... " वो जान कर मेरे अंगों को दबा दबा कर बता रहा था। मेरे शरीर में वासना दौड़ने लगी थी। राहुल का भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था। साफ़ ही दिख रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। उसे हल्के से दबा ही दिया। राहुल सिसक पड़ा।

"बड़ा प्यारा है ना ... !"

"नेहा अपनी चूंची दिखा ना ...!"

"नहीं पहले तू अपना लण्ड दिखा ... !"

' दीदी शरम आती है ... अच्छा और हाथ से दबा ले ... !"

"ठीक है ... " मैंने उसका फिर से लण्ड पकड लिया ... और दबाने लगी। लण्ड दबाते हुये मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई। वो हाय हाय करने लगा।

"नेहा कितना मजा आता है ना ...! "

"बस कर ना ... अब तू चूंची दिखा।"

"नहीं तू भी हाथ लगा कर देख ले ... " उसने भी हाथ क्या रखा ... मेरे बोबे दबा ही डाले। मैं सिसक उठी।

"देख अब तो लण्ड दिखा ही दे ना प्लीज॥ ... " राहुल भी तो यही चाहता था कि कुछ और आगे बात बढ़े। उसने अपना पजामा नीचे उतार दिया और अपना कड़कता हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया। मेरी तो आह निकल गई। मन मचल गया।

"पकड़ लूँ ... ?" और उसके लण्ड को पकड़ लिया। एकदम गरम लोहे जैसा सख्त।

"अब तू अपनी चूत बता ... !"

"धत्त ... नहीं रे ... !"

"प्लीज बता दे, देख मैंने भी अपना लण्ड बताया ना ... " मेरे शरीर में जैसे चींटियाँ रेंगने लगी। मैंने अपना स्कर्ट उंचा कर दिया। मुझे ऐसा करने असीम आनन्द आने लगा। शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।

"पांव फ़ैला ना।" मैंने शरमाते हुए अपने पांव फ़ैला दिए। मेरी चूत की दो फ़ाकें और बीच में एक छेद ...

"हाथ लगा दूँ ... !" उसने अपनी अंगुली मेरी चूत पर घुमाई और छेद में घुसा दी ... मैं तड़प उठी। और झट से उसका हाथ हटा दिया पर सच में हटाना नहीं चाहती थी।

"चल बहुत हो गया ... अब सो जा ... बाकी कल करेंगे।" राहुल बत्ती बन्द करके आ गया और मेरे पास ही लेट गया।

"नेहा ... चूत में लण्ड कैसे जाता है ... तुझे पता है ... ?" अब मुझे मौका मिल ही गया। भैया को अब ज्यादा तड़पाना ठीक नही, मैंने सोचा अब चुदवाना ही ठीक है।

"नहीं रे ... तू कोशिश करेगा ... करके देख ... शायद लण्ड घुसेगा ही नहीं ... !" मुझे पता था, शायद उसे भी पता था ... कि घुसेगा कैसे नहीं।

"उसके लिये क्या करूँ ... कैसे घुसाऊँ ...? "

"ऐसा कर तू मेरे ऊपर आजा ... और लण्ड को चूत पर रख कर जोर लगा ... आजा ऊपर आजा ... और कोशिश करके देख ... !" मुझे सिरहन होने लगी थी ... कि ये चोद डालेगा ... !

वो नंगा तो था ही, मेरी टांगों के बीच में आ गया ... मेरा शरीर तो वासना के मारे कांप गया। अब लण्ड अन्दर घुसेगा ... इन्तज़ार था ... ।

उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और जोर मारा। मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी। वो एकदम अन्दर घुस पड़ा। मैं तड़प उठी।

"पूरा नहीं गया है और जोर लगा !" अब मेरे ऊपर लेट गया और जोर लगा कर लण्ड पूरा घुसा दिया।

"दीदी इसमें तो बहुत मजा आ रहा है ... !"

"हां ... राहुल ... मुझे भी मजा आ रहा है ... और कर ... अन्दर बाहर कर ... " मैं तो पहले भी चुदवा चुकी थी ये तो एक बहाना था भैया को पटाने का।

उसने मुझे चोदना शुरु कर दिया। "हाय रे दीदी ... क्या मस्त है ... खूब मजा आ रहा है ...!"

"भैया ... और धक्के मार ... जोर से मार ... लगा यार ... हाय ... बहुत मजा देता है रे तू तो ... !"

"दीदी ... " उसने जोश में मेरे बोबे मसलने चालू कर दिये। उसके धक्के बढ़ते जा रहे थे ... मुझे जोर से जकड़ता भी जा रहा था। मैं आनन्द से निहाल हो रही थी। अब वो तेज और जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ ... मुझे और चुदाई चाहिये थी पर अपने को रोक नहीं पाई। और झड़ने लगी ... इतने में राहुल भी मेरे से चिपट गया और उसके लण्ड ने माल उगल दिया। वो मेरे ऊपर ही पड़ गया।

"अरे हट ना राहुल ... ये क्या कर दिया तूने ...!"

"मुझे क्या पता ... अपन तो कोशिश कर रहे थे ना ... इसमें दीदी खूब ही मजा आता है ... और करें दीदी ...? "

"इसे चुदाई कहते हैं ... समझा ... और चोदेगा क्या ... ले आजा ... सुन पीछे भी तो एक छेद है ... उसमें इस बार कोशिश कर !" मैंने उसके लण्ड को मसलते हुए कहा।

"कहाँ दीदी गाण्ड के छेद में ...? "

" हां रे ... देख उसमें घुसता है या नहीं ... !" कुछ ही देर में वो फिर लोहे जैसा कड़क हो गया।

राहुल फिर एक बार और तैयार हो गया ... मैंने करवट लेकर अपनी चूतड़ को उसके लण्ड से सटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को फ़ाड़ता हुआ गाण्ड के छेद से टकरा गया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी। उसने कोशिश करके लण्ड गाण्ड में घुसा ही डाला। फिर मेरे दोनों बोबे थाम कर दबा दिये। और नीचे जोर लगा दिया। लण्ड अन्दर सरकने लगा। मुझे हल्का दर्द हुआ ... पर मजा तो आ रहा था ना। उसका लण्ड अब मेरी गाण्ड चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा। गाण्ड के तंग छेद को उसका लण्ड नहीं सह पाया। तेज घर्षण के कारण उसका वीर्य एक बार फिर से छूट पड़ा।

"हाय दीदी ... मजा आ गया ... ! तुझे मजा आ रहा है ...? "

"भैया ... तू तो मजे की खान है रे ... अपन रोज़ ही ऐसा करेंगे ... बोल ना ... !"

"दीदी ... हां रोज ही करेंगे ... ! खूब मजे करेंगे ... !"

"देख मम्मी पापा को नहीं बताना ... वरना पिटाई हो जायेगी ...!"

"अरे मरना थोड़े ही है ... !"

"और चोदना है क्या ???"

"हां दीदी ... खूब चोदूँगा तेरे को ...! जोर जोर से चोदूंगा ... !"

"ले आजा ... फ़िर से चढ़ जा मेरे ऊपर ... और चोद दे ... !"

राहुल फिर तैयार था ... ...

मैंने अपनी टांगें फिर चौड़ा दी ... फिर एक बार गरम गरम लोहा मेरी चूत में उतरने लगा ...

मेरे दिल की इच्छा पूरी होने लगी ... ... मैं भैया से उस रात खूब चुदी ... उसने मेरा सारा चुदाई का खुमार उतार दिया।

सुबह हमारे बदन टूट रहे थे ... पर हम दोनों फिर से रात का इन्तज़ार करने लगे ...

Monday, February 23, 2009

ज़हाज में दीदी की चुदाई

बात उन दिनों की है जब मैं कोलकाता में एक आर्ट कॉलेज में पढ़ता था। मेरे साथ शबनम दीदी पढ़ती थी जो मुझसे एक साल सीनियर थी।

अंडमान आइलैंड से हम दोनों ही थे हमारे कॉलेज में, इस लिए शबनम दीदी मुझे अपनी भाई की तरह मानती थी। गर्मियों की छुट्टी शुरू होने वाली थी तो दीदी ने कहा- संजय चलो इस बार हम दोनों शिप (जहाज) से अंडमान जायेंगे !

मैंने कहा - ठीक है दीदी मैं टिकेट ले लूँगा।

और फिर हम लोग निर्धारित दिन में जहाज में चढ़ गए।

दीदी ने कहा- भाई देखो कितनी सुंदर दृश्य नज़र आ रहा है, इस सीन का लैंड स्केप बना सकते है।

मैंने भी हाँ में हामी भरी। वक्त कटता गया, शाम के ७.०० बजे डिनर होता है जहाज में, इसलिए हम ७.३० तक डिनर खाकर अपने केबिन में आ गए। दीदी ने कहा- संजय ! इस केबिन में तो चार सीट हैं फिर हम दोनों के अलावा और किसी को इस केबिन का टिकेट नहीं मिला क्या?

मैंने कहा- दीदी शायद जहाज खाली जा रहा है, इसलिए जहाज में लोग भी कम नज़र आ रहे हैं।

थोड़ी देर की खामोशी के बाद दीदी बोली- भाई इतनी जल्दी तो नींद नहीं आने वाली ! चलो कपड़े बदल लेते हैं और फिर हम एक दूसरे के स्केच बनाते हैं। मैंने भी हाँ कहा और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक नेक्कर और बनियान पहनकर बेड में बैठ गया।

दीदी ने कहा- दरवाजा बंद कर दो।

और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन कर बाहर आई। मैं देखता रह गया कि दीदी कितनी सुंदर लग रही हैं, इससे पहले दीदी को कभी इन कपड़ो में नहीं देखा था।

दीदी को पता चला तो बोली - संजय ! क्या देख रहे हो ? तुमको ठीक से मेरी फिगर दिखाई दे इसलिए ही इन कपड़ो को पहना है ताकि तुमको मेरी स्केच बनने कोई परेशानी न हो !

फिर हम दोनों एक दूसरे के स्केच बनाने लगे। मेरी नज़र तो बार बार शबनम दीदी की छाती पर जाकर रुक जाती थी और मेरे लिए अपने लण्ड को हाफ पैन्ट में छुपाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि दीदी की उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी थी। दीदी को शायद पता चला या नहीं अचानक दीदी ने कहा- भाई क्या हुआ तुमको? क्या देख रहे हो? क्या कुछ दिक्कत हो रही है स्केच बनाने में या ठीक से दिख नहीं रही है मेरी फिगर ? चलो तुम्हारे लिए और थोड़ी एडजस्ट कर लेती हूँ, लकिन तुम भी अपना बनियान उतार कर बैठो, और फिर दीदी ने अपने स्कर्ट और टाप उतार दी।मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी। पर मैं चुपचाप से दीदी की ब्रा में बंद उनके बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था।

तभी दीदी ने कहा- क्या हुआ संजय? जल्दी से अपनी बनियान उतार दो, मुझे भी तो तुम्हारा स्केच बनाने है। और इस तरह क्या देख रहे हो? ठीक से स्केच बनाओ !

मैंने धीरे से अपने बनियान उतार दिया और फिर स्केच बनने लगा, पर मेरा लण्ड को हाफ-पैन्ट में छुप नहीं पा रहा था और मैं इधर उधर देखने लगा। शायद दीदी को मेरा लण्ड हाफ-पैन्ट में खड़ा होता दिख गया।

दीदी ने कहा- संजय ! क्या हुआ ? कभी इस तरह किसी लड़की को नहीं देखा क्या? तुम्हारी नियत तो ठीक है न ?

मेरा झूठ पकड़ में आ रहा था मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।

"क्या बात है..... तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है.......?"

मेरी नजरों के सामने दीदी की ब्रा में उभरी हुयी चुंचियाँ के भीतर से झाँकने लगी। मेरी नजरें उनके स्तनों पर गड़ गयी। दीदी ने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा... और मुझे गर्माते देख कर सीधे चोट की......"संजय .... मेरी छाती में क्या देख रहे हो झांक कर ?"

"हाँ... नही.... क्या....?" मैं बुरी तरह झेंप गया।

"अच्छा.. अब मैं बताऊँ......कि क्या देख रहे हो तुम....." मैं एकदम से शरमा गया।

"दीदी ... वो...नही....सो.... सॉरी..."

"क्या सॉरी..... एक तो चोरी...फिर सॉरी......."

"दीदी .... अच्छी लग रही है देखने में .....सॉरी कहा न "

मैं "हाँ... नही.... क्या....?" मैं बुरी तरह झेंप गया।

"अच्छा.. अब मैं बताऊँ......कि क्या देख रहे हो तुम....." मैं एकदम से शरमा गया।

दीदी मेरे पाइंट पर से लण्ड के उभार को देख रही थी। मैंने ऊपर हाथ रख लिया।

"नहीं देखो... इधर.. " मैं शरमा गया। दीदी मुस्कुरा उठी।

"तो कान पकड़ो........"

मैने अपने कान पकड़ लिए...... "बस...ना..."

हाथ हटाने पर लण्ड का उभार फिर से दिखने लगा। वो हंस पड़ी।

"नहीं देखो... इधर.. " मैं शरमा गया। वो मुस्कुरा उठी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। मेरा लण्ड का पूरा आकार तक दिखने लगा था। मैं उठ कर दीदी के पास आ गया। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा-"दीदी .....तुम्हारे भी तो उभार हैं...... एक बार दिखा दो.....न ...प्लीज़ !"

मैंने दीदी की पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही ...... दीदी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनकी पीठ पर सवार हो गया. वो कुछ कर पाती, उनके पहले मैंने उसको जकड़ लिया. मेरे लण्ड का जोर उनके चूतड़ों पर महसूस होने लगा था।

दीदी हलके से चीखी .."संजू ..... ये क्या कर रहे हो ...?"

"दीदी ...मुझसे अब नहीं रहा जाता है ....!"

मैंने तुंरत ही उनके होंट पर अपने होंट रख दिए। मुझे लगा कि शायद दीदी को मजा आने लगा था।

मैंने उनके भारी स्तनों को पकड़ लिया और स्तनों को मसलना चालू कर दिया। वो सिमटी जा रही थी। पर मैंने हाथों से उनके उभारों को मसलना जारी रखा। वो अपने को बचाती भी रही...पर मुझे रोका भी नहीं। जब मैंने उनके उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब उसने मुझे पीछे की ओर धक्का दे दिया और कहा -"बहुत बेशरम हो गए हो...."

उनके हाथ से पेंसिल नीचे गिर गयी। वो जैसे ही उठ कर पेंसिल उठाने को झुकी, मैंने फिर से उनके स्तनों पर कब्जा कर लिया।

"क्या हुआ.... अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..?"

" अरे ..... हट जा न ...... हटो संजय ..."

"मना मत करो दीदी !"

"देखो मैं चिल्ला पडूँगी .."

'नहीं नहीं ...ऐसा मत करना ....... दीदी ... प्लीज़ एक बार देखने दो न ...!"

मैंने दीदी के नरम नरम गोल चूतड़ों को हाथ से सहला दिया। गोलाइयां सहलाते हुए अपना हाथ दोनों फाकों की दरार में घुसा दिया और फिर अपनी उंगली घुसा कर उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। दीदी वैसे ही झुकी रही। अब मेरे हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ गए।

वो सिहर उठी। जैसे ही उनकी चूत पैन्टी के ऊपर से दबी... चूत का गीलापन मेरे हाथ में लग गया। अब मैंने उनकी चूत को भींच दिया पर जल्दी से हाथ हटा दिया। और दीदी सीधी खड़ी हो गयी।

मैं मुस्कुराया "दीदी .. मज़ा आ गया.... तुम्हें कैसा लगा...?"

"अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो.... स्केच नहीं बनाने क्या...?" दीदी भी मुस्कुरा कर कहा।

मैंने कहा- नहीं दीदी प्लीज़ मुझे अभी कुछ और करना है ..... और मैंने दीदी को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनकी पीठ के ऊपर फिर से बैठ गया और मैंने अपना नेक्कर उतार दिया और दीदी की पैन्टी भी उतार दी।

अब मैं और दीदी नीचे से नंगे हो गए थे। मैंने फिर अपने लण्ड को उनके चूतड़ों पर दबाया, दीदी ने भी चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया ...और मेरा लण्ड उनकी गांड के छेद से टकरा गया।

दीदी ने फिर कहा-" अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..."

"आह संजू ... मत करो ...न ...... देखो तुमने ...क्या किया ?"

"दीदी ..कुछ मत बोलो ...आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं .... मेरी अपनी इच्छा जरूर पूरी करूँगा !"

मुझे तो आनंद आ रहा था ... मैंने अपने लण्ड को दीदी की गांड के छेद से रगड़ना शुरू किया, दीदी चुप रही।

फिर अचानक मैंने दीदी को सीधा कर दिया ... और अपना लण्ड उनको दिखाया ..."देखो न दीदी ... अपनी गांड से इसका क्या हाल किया है तुमने..."

उसने कहा .."देख संजय ...मैं हाथ जोड़ती हूँ ... मुझे छोड़ दे अब ... प्लीज़ .."

" दीदी ...सॉरी .... ये मेरे बस में नहीं है अब ...... मैं अब पूरा ही मजा लूँगा ..... तुमने मुझे बहुत तड़पाया है .."

मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए, उनके बूब्स को देख कर मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उनके निप्पल को चूपा। उनके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर मैं उनके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उनकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उनकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उनकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी- आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी

थोड़ी देर तक उनकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा कि वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लण्ड को उनके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उनके चेहरे पर अपने लण्ड को लगाया फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनके बूब्स पर, उनके निप्पल पर, उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लण्ड को लगा रहा था। मेरे लण्ड से जो पानी निकल रहा था वो भी उनके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लण्ड को उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लण्ड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।

८ इंच लंबा और ३ इंच मोटा लण्ड देखते ही उनके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं संजू प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा- डरो मत दीदी मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा।

मगर वो मान ही नहीं रही थी।

तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो?

उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई। अब वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। फिर क्या था मैंने अपना सारा माल दीदी की मुँह में ही डाल दिया। दीदी को शायद ख़राब लगा और उन्हें उलटी आने लगी।

मैं जल्दी से उनकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिये। वो तिलमिला उठी मैने अपनी जीभ उनकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उनकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी, तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उनकी सिसकियां बढ़ने लगी। अब वो सारे बहाने छोड़ कर दोनों हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया।

मैंने देखा कि वो हांफ रही है ओर मेरी तरफ़ देख रही है, मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- दीदी अब बोलो तुम्हे कैसा लगा ?

दीदी ने आँख खोली और गहरी साँस ली। मैं उनके ऊपर से नीचे आ गया, दीदी तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी। अब दीदी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई और मुस्कराया......उसने मुझे चूमना चालू कर दिया। एक हाथ नीचे ला कर मेरा मुरझाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी.......

लण्ड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. दीदी अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ ही देर में मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार था। दीदी मेरे ऊपर लेट गयी, अपनी दोनों टांगे फैला दी, लण्ड का स्पर्श चूत के आस पास लग रहा था। मैंने उनके होंट अपने होटों में दबा लिए। हम दोनों अपने आप को हिला कर लण्ड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया। मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी।

अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी। मेरा लण्ड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया। मैंने बाजी पलटी और दीदी को नीचे लिटा दिया और कहा- दीदी एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा।

वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लण्ड और उनकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया।

उसे बहुत दर्द हो रहा था और मेर लण्ड उनकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया। उनके मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी..."संजू .... अ आह हह हह हह..... सी ई स स स ई एई....!"

एक धक्का मारा मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया। वोह चिल्लाई- आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . ..,संजू .......धीरे !

उनके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड उनकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उनके आँखों से आंसू निकल आए थे। मैंने उनके गालो को चूम कर पूछा," ज्यादा दर्द हो रहा है..?"

उसने जवाब दिया "इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है !"

मैं उनके इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही..

अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।

वो मुझ में लिपटी हुई थी...और मैं उसे चूम रहा था...वो मेरे नीचे थी और अपने पैरों को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मानो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी... पूरे केबिन में मादक माहौल था..... हमारी सिसकारियां ज़हाज के इस केबिन में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो...

वो जलजला जल्द ही आया जब मैं अपने कमर की हरकतों की वजह से चरम सीमा पे पहुँचने वाला था .. उधर दीदी भी मुझे बोल रही थी...".. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से ...मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है "... मैं समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है...इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी। देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मानो मेरे लण्ड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मैं वापस उनके बाँहों में निढाल हो गया ..

बहुत देर बाद जब मैं उठा और देखा कि शबनम दीदी की जांघों पर खून गिरा है तब मैं समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ दीदी के बारे में सोचने लगा कि .. ऐसी लड़की नहीं थी कि किसी को भी अपना शरीर सौंप दे .. इतने दिनों से अकेले कोलकाता में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी...

मैंने पास में पड़े तौलिए को उठाया और उनके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा। जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा।

दीदी ने मुझ से पूछा कि"... तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..?"

मैंने उनके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी योनि-लबों को चूम कर के बोला... " दीदी सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नहीं देखी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा....!"

और हम दोनों हंस पड़े..

उस दिन से अगले ४ दिन तक आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी.. जब तक हम अंडमान नहीं पहुँचे।

बात उन दिनों की है जब मैं कोलकाता में एक आर्ट कॉलेज में पढ़ता था। मेरे साथ शबनम दीदी पढ़ती थी जो मुझसे एक साल सीनियर थी।

अंडमान आइलैंड से हम दोनों ही थे हमारे कॉलेज में, इस लिए शबनम दीदी मुझे अपनी भाई की तरह मानती थी। गर्मियों की छुट्टी शुरू होने वाली थी तो दीदी ने कहा- संजय चलो इस बार हम दोनों शिप (जहाज) से अंडमान जायेंगे !

मैंने कहा - ठीक है दीदी मैं टिकेट ले लूँगा।

और फिर हम लोग निर्धारित दिन में जहाज में चढ़ गए।

दीदी ने कहा- भाई देखो कितनी सुंदर दृश्य नज़र आ रहा है, इस सीन का लैंड स्केप बना सकते है।

मैंने भी हाँ में हामी भरी। वक्त कटता गया, शाम के ७.०० बजे डिनर होता है जहाज में, इसलिए हम ७.३० तक डिनर खाकर अपने केबिन में आ गए। दीदी ने कहा- संजय ! इस केबिन में तो चार सीट हैं फिर हम दोनों के अलावा और किसी को इस केबिन का टिकेट नहीं मिला क्या?

मैंने कहा- दीदी शायद जहाज खाली जा रहा है, इसलिए जहाज में लोग भी कम नज़र आ रहे हैं।

थोड़ी देर की खामोशी के बाद दीदी बोली- भाई इतनी जल्दी तो नींद नहीं आने वाली ! चलो कपड़े बदल लेते हैं और फिर हम एक दूसरे के स्केच बनाते हैं। मैंने भी हाँ कहा और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक नेक्कर और बनियान पहनकर बेड में बैठ गया।

दीदी ने कहा- दरवाजा बंद कर दो।

और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन कर बाहर आई। मैं देखता रह गया कि दीदी कितनी सुंदर लग रही हैं, इससे पहले दीदी को कभी इन कपड़ो में नहीं देखा था।

दीदी को पता चला तो बोली - संजय ! क्या देख रहे हो ? तुमको ठीक से मेरी फिगर दिखाई दे इसलिए ही इन कपड़ो को पहना है ताकि तुमको मेरी स्केच बनने कोई परेशानी न हो !

फिर हम दोनों एक दूसरे के स्केच बनाने लगे। मेरी नज़र तो बार बार शबनम दीदी की छाती पर जाकर रुक जाती थी और मेरे लिए अपने लण्ड को हाफ पैन्ट में छुपाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि दीदी की उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी थी। दीदी को शायद पता चला या नहीं अचानक दीदी ने कहा- भाई क्या हुआ तुमको? क्या देख रहे हो? क्या कुछ दिक्कत हो रही है स्केच बनाने में या ठीक से दिख नहीं रही है मेरी फिगर ? चलो तुम्हारे लिए और थोड़ी एडजस्ट कर लेती हूँ, लकिन तुम भी अपना बनियान उतार कर बैठो, और फिर दीदी ने अपने स्कर्ट और टाप उतार दी।मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी। पर मैं चुपचाप से दीदी की ब्रा में बंद उनके बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था।

तभी दीदी ने कहा- क्या हुआ संजय? जल्दी से अपनी बनियान उतार दो, मुझे भी तो तुम्हारा स्केच बनाने है। और इस तरह क्या देख रहे हो? ठीक से स्केच बनाओ !

मैंने धीरे से अपने बनियान उतार दिया और फिर स्केच बनने लगा, पर मेरा लण्ड को हाफ-पैन्ट में छुप नहीं पा रहा था और मैं इधर उधर देखने लगा। शायद दीदी को मेरा लण्ड हाफ-पैन्ट में खड़ा होता दिख गया।

दीदी ने कहा- संजय ! क्या हुआ ? कभी इस तरह किसी लड़की को नहीं देखा क्या? तुम्हारी नियत तो ठीक है न ?

मेरा झूठ पकड़ में आ रहा था मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।

"क्या बात है..... तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है.......?"

मेरी नजरों के सामने दीदी की ब्रा में उभरी हुयी चुंचियाँ के भीतर से झाँकने लगी। मेरी नजरें उनके स्तनों पर गड़ गयी। दीदी ने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा... और मुझे गर्माते देख कर सीधे चोट की......"संजय .... मेरी छाती में क्या देख रहे हो झांक कर ?"

"हाँ... नही.... क्या....?" मैं बुरी तरह झेंप गया।

"अच्छा.. अब मैं बताऊँ......कि क्या देख रहे हो तुम....." मैं एकदम से शरमा गया।

"दीदी ... वो...नही....सो.... सॉरी..."

"क्या सॉरी..... एक तो चोरी...फिर सॉरी......."

"दीदी .... अच्छी लग रही है देखने में .....सॉरी कहा न "

मैं "हाँ... नही.... क्या....?" मैं बुरी तरह झेंप गया।

"अच्छा.. अब मैं बताऊँ......कि क्या देख रहे हो तुम....." मैं एकदम से शरमा गया।

दीदी मेरे पाइंट पर से लण्ड के उभार को देख रही थी। मैंने ऊपर हाथ रख लिया।

"नहीं देखो... इधर.. " मैं शरमा गया। दीदी मुस्कुरा उठी।

"तो कान पकड़ो........"

मैने अपने कान पकड़ लिए...... "बस...ना..."

हाथ हटाने पर लण्ड का उभार फिर से दिखने लगा। वो हंस पड़ी।

"नहीं देखो... इधर.. " मैं शरमा गया। वो मुस्कुरा उठी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। मेरा लण्ड का पूरा आकार तक दिखने लगा था। मैं उठ कर दीदी के पास आ गया। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा-"दीदी .....तुम्हारे भी तो उभार हैं...... एक बार दिखा दो.....न ...प्लीज़ !"

मैंने दीदी की पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही ...... दीदी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनकी पीठ पर सवार हो गया. वो कुछ कर पाती, उनके पहले मैंने उसको जकड़ लिया. मेरे लण्ड का जोर उनके चूतड़ों पर महसूस होने लगा था।

दीदी हलके से चीखी .."संजू ..... ये क्या कर रहे हो ...?"

"दीदी ...मुझसे अब नहीं रहा जाता है ....!"

मैंने तुंरत ही उनके होंट पर अपने होंट रख दिए। मुझे लगा कि शायद दीदी को मजा आने लगा था।

मैंने उनके भारी स्तनों को पकड़ लिया और स्तनों को मसलना चालू कर दिया। वो सिमटी जा रही थी। पर मैंने हाथों से उनके उभारों को मसलना जारी रखा। वो अपने को बचाती भी रही...पर मुझे रोका भी नहीं। जब मैंने उनके उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब उसने मुझे पीछे की ओर धक्का दे दिया और कहा -"बहुत बेशरम हो गए हो...."

उनके हाथ से पेंसिल नीचे गिर गयी। वो जैसे ही उठ कर पेंसिल उठाने को झुकी, मैंने फिर से उनके स्तनों पर कब्जा कर लिया।

"क्या हुआ.... अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..?"

" अरे ..... हट जा न ...... हटो संजय ..."

"मना मत करो दीदी !"

"देखो मैं चिल्ला पडूँगी .."

'नहीं नहीं ...ऐसा मत करना ....... दीदी ... प्लीज़ एक बार देखने दो न ...!"

मैंने दीदी के नरम नरम गोल चूतड़ों को हाथ से सहला दिया। गोलाइयां सहलाते हुए अपना हाथ दोनों फाकों की दरार में घुसा दिया और फिर अपनी उंगली घुसा कर उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। दीदी वैसे ही झुकी रही। अब मेरे हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ गए।

वो सिहर उठी। जैसे ही उनकी चूत पैन्टी के ऊपर से दबी... चूत का गीलापन मेरे हाथ में लग गया। अब मैंने उनकी चूत को भींच दिया पर जल्दी से हाथ हटा दिया। और दीदी सीधी खड़ी हो गयी।

मैं मुस्कुराया "दीदी .. मज़ा आ गया.... तुम्हें कैसा लगा...?"

"अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो.... स्केच नहीं बनाने क्या...?" दीदी भी मुस्कुरा कर कहा।

मैंने कहा- नहीं दीदी प्लीज़ मुझे अभी कुछ और करना है ..... और मैंने दीदी को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनकी पीठ के ऊपर फिर से बैठ गया और मैंने अपना नेक्कर उतार दिया और दीदी की पैन्टी भी उतार दी।

अब मैं और दीदी नीचे से नंगे हो गए थे। मैंने फिर अपने लण्ड को उनके चूतड़ों पर दबाया, दीदी ने भी चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया ...और मेरा लण्ड उनकी गांड के छेद से टकरा गया।

दीदी ने फिर कहा-" अब बस करो ....छोड़ दो न ..... ये मत करो .... संजू .....हटो न ..."

"आह संजू ... मत करो ...न ...... देखो तुमने ...क्या किया ?"

"दीदी ..कुछ मत बोलो ...आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं .... मेरी अपनी इच्छा जरूर पूरी करूँगा !"

मुझे तो आनंद आ रहा था ... मैंने अपने लण्ड को दीदी की गांड के छेद से रगड़ना शुरू किया, दीदी चुप रही।

फिर अचानक मैंने दीदी को सीधा कर दिया ... और अपना लण्ड उनको दिखाया ..."देखो न दीदी ... अपनी गांड से इसका क्या हाल किया है तुमने..."

उसने कहा .."देख संजय ...मैं हाथ जोड़ती हूँ ... मुझे छोड़ दे अब ... प्लीज़ .."

" दीदी ...सॉरी .... ये मेरे बस में नहीं है अब ...... मैं अब पूरा ही मजा लूँगा ..... तुमने मुझे बहुत तड़पाया है .."

मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए, उनके बूब्स को देख कर मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उनके निप्पल को चूपा। उनके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर मैं उनके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उनकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उनकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उनकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी- आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी

थोड़ी देर तक उनकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा कि वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लण्ड को उनके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उनके चेहरे पर अपने लण्ड को लगाया फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनके बूब्स पर, उनके निप्पल पर, उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लण्ड को लगा रहा था। मेरे लण्ड से जो पानी निकल रहा था वो भी उनके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लण्ड को उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लण्ड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।

८ इंच लंबा और ३ इंच मोटा लण्ड देखते ही उनके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं संजू प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा- डरो मत दीदी मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा।

मगर वो मान ही नहीं रही थी।

तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो?

उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई। अब वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। फिर क्या था मैंने अपना सारा माल दीदी की मुँह में ही डाल दिया। दीदी को शायद ख़राब लगा और उन्हें उलटी आने लगी।

मैं जल्दी से उनकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिये। वो तिलमिला उठी मैने अपनी जीभ उनकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उनकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी, तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उनकी सिसकियां बढ़ने लगी। अब वो सारे बहाने छोड़ कर दोनों हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया।

मैंने देखा कि वो हांफ रही है ओर मेरी तरफ़ देख रही है, मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- दीदी अब बोलो तुम्हे कैसा लगा ?

दीदी ने आँख खोली और गहरी साँस ली। मैं उनके ऊपर से नीचे आ गया, दीदी तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी। अब दीदी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई और मुस्कराया......उसने मुझे चूमना चालू कर दिया। एक हाथ नीचे ला कर मेरा मुरझाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी.......

लण्ड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. दीदी अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ ही देर में मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार था। दीदी मेरे ऊपर लेट गयी, अपनी दोनों टांगे फैला दी, लण्ड का स्पर्श चूत के आस पास लग रहा था। मैंने उनके होंट अपने होटों में दबा लिए। हम दोनों अपने आप को हिला कर लण्ड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया। मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी।

अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी। मेरा लण्ड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया। मैंने बाजी पलटी और दीदी को नीचे लिटा दिया और कहा- दीदी एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा।

वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लण्ड और उनकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया।

उसे बहुत दर्द हो रहा था और मेर लण्ड उनकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया। उनके मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी..."संजू .... अ आह हह हह हह..... सी ई स स स ई एई....!"

एक धक्का मारा मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया। वोह चिल्लाई- आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह . ..,संजू .......धीरे !

उनके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड उनकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उनके आँखों से आंसू निकल आए थे। मैंने उनके गालो को चूम कर पूछा," ज्यादा दर्द हो रहा है..?"

उसने जवाब दिया "इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है !"

मैं उनके इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही..

अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।

वो मुझ में लिपटी हुई थी...और मैं उसे चूम रहा था...वो मेरे नीचे थी और अपने पैरों को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मानो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी... पूरे केबिन में मादक माहौल था..... हमारी सिसकारियां ज़हाज के इस केबिन में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो...

वो जलजला जल्द ही आया जब मैं अपने कमर की हरकतों की वजह से चरम सीमा पे पहुँचने वाला था .. उधर दीदी भी मुझे बोल रही थी...".. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से ...मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है "... मैं समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है...इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी। देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मानो मेरे लण्ड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मैं वापस उनके बाँहों में निढाल हो गया ..

बहुत देर बाद जब मैं उठा और देखा कि शबनम दीदी की जांघों पर खून गिरा है तब मैं समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ दीदी के बारे में सोचने लगा कि .. ऐसी लड़की नहीं थी कि किसी को भी अपना शरीर सौंप दे .. इतने दिनों से अकेले कोलकाता में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी...

मैंने पास में पड़े तौलिए को उठाया और उनके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा। जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा।

दीदी ने मुझ से पूछा कि"... तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..?"

मैंने उनके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी योनि-लबों को चूम कर के बोला... " दीदी सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नहीं देखी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा....!"

और हम दोनों हंस पड़े..

उस दिन से अगले ४ दिन तक आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी.. जब तक हम अंडमान नहीं पहुँचे।